मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

हिन्दुओं पर अत्याचार हो रहा है


पाक में भारतीय की सजा खत्म पर रिहाई नहीं

अदालत ने जेल विभाग से भी पूछा है कि वह उन भारतीय कैदियों को रिहा क्यों नहीं किया जिन की सजा पूरी हो चुकी है। पाकिस्तान की एक अदालत ने पंजाब की प्रांतीय सरकार से उन भारतीय कैदियों की जानकारी मांगी है जो अपनी सज़ा पूरी कर चुके हैं और प्रांत की विभिन्न जेलों में बंद हैं।
लाहौर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टिस ऐजाज अहमद चौधरी ने यह आदेश मौत की सजा का सामना कर रहे भारतीय कैदी सरबजीत सिंह के वकील औवैस शैख की ओर से दायर की गई याचिका पर दिया। सजा पूरी करने वाले भारतीय कैदियों की रिहाई के लिए अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायधीश जस्टिस ऐजाज चौधरी ने पंजाब प्रांत के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल हनीफ खटयाना को आदेश दिया कि वह दो दिनों के भीतर भारतीय कैदियों की जानकारी अदालत में पेश करें। अदालत ने जेल विभाग को भी आदेश दिया कि वह दो भारतीय कैदियों की सजा पूरी होने के बावजूद उन्हें रिहा न करने के बारे में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करें।
सरबजीत सिंह के वकील औवैस शेख़ ने अदालत को बताया कि दो भारतीय कैदी सत्यंद्र पाल सिंह और केराल भानवदास पाकिस्तानी सीमा का उल्लंघन करने के आरोप में लाहौर की एक जेल में बंद हैं और दोनों कैदी अपनी सजा पूरी कर चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें रिहा नहीं किया जा रहा है। 


औवैस शेख ने अदालत को बताया कि केराल भानवदास की पत्नि और सत्यंद्र पाल सिंह के एक रिश्तेदार ने उन दोनों कैदियों की रिहाई के लिए उनसे संपर्क किया था और बाद में उन्होंने जेल अधिकारियों और विदेश मंत्रालय को लिखा था लेकिन अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने अदालत में सुनवाई को दौरान कहा कि पाकिस्तान कैदियों की सजा पूरी होने के बावजूद भी उन्हें रिहा नहीं करते हैं, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।उन्होंने बताया कि दोनों देशों के संबंधों में तनाव भी इसी के कारण है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऐजाज चौधरी ने औवैस शख से कहा कि भारतीय जेलों में कैद पाकिस्तानी कैदियों की रिहाई के लिए भी सीमा पार से कोई आवाज उठनी चाहिए।
सरबजीत सिंह के वकील ने आखरी में अदालत से अनुरोध किया कि उन भारतीय कैदियों की रिहाई के लिए सरकार को आदेश दें जिन की सजाएँ पूरी हो चुकी हैं क्योंकि जेल नियमों के मुताबिक उन्हें जेल में कैद नहीं रखा जा सकता। अदालत ने याचिका पर सुनवाई दो नवंबर पर स्थागित कर दी।

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