हरिद्वार। गायत्री महाकुंभ में पचास हजार लोगों ने एक साथ दीप यज्ञ करके मंगलवार को हुए दर्दनाक हादसे के शिकार लोगों के लिए शांति प्रार्थना की और अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डा. प्रणव पंड्या ने निर्धारित समय से एक दिन पहले गायत्री महाकुंभ को संपन्न करने की घोषणा कर दी। साथ ही प्रशासन के भारी दबाब को देखते हुए आज गायत्री परिवार ने इस आयोजन के लिए अस्थाई रूप से बनाये गये सभी २४ नगरों में रूके श्रद्धालुओं को अपनी-अपनी सुविधानुसार घर वापस जाने की सलाह दी। दीपयज्ञ का आयोजन आज सुबह यज्ञशाला की जगह ज्ञान मंच पर किया गया। लालजीवाला क्षेत्र में बनी विशाल यज्ञशाला के करीब घुटन व अफरा-तफरी की वजह से कल २० लोगों की निधन हो गई थी। इनमें १८ महिलाएं भी शामिल थी। हादसे के बाद प्रशासन ने यज्ञशाला को बंद करवा दिया था। उधर इस हादसे के बाद छाये दुख: मय के माहौल को देखते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूरी ने राज्य स्थापना दिवस के सभी रंगारंग कार्यक्रम निरस्त कर दिये और कहा कि समूचा सरकारी महकमा सादगी के साथ अपना स्थापना दिवस मनाया और गायत्री महाकुंभ में मारे गये लोगों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त कर उनको श्रद्धांजलि दिया। मृतकों के परिजनों को खंडूरी सरकार के अलावा मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान सरकार व गायत्री परिवार ने दो-दो लाख व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक-एक लाख रूपये सांत्वना राशि देने की घोषणा की। घायलों को भी ५०-५० हजार रूपये दिये गये। गौरतलब है कि गायत्री महाकुंभ युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के जन्मशताब्दी अवसर पर ६-१० नवंबर तक आयोजित किया गया था। इस आयोजन के लिए गायत्री परिवार के स्वयंसेवकों ने दो महीने रात-दिन एक करके स्वयं २४ नगर बसाये, इन नगरों को आपस में जोडने के लिए श्रमदान करके गंगा नदी पर पांच पुल बनाये गये। इस आयोजन में संयुक्त परिवार की जो भावना देखने को मिली, उसकी हर तरफ तारीफ हो रही थी लेकिन अचानक हुए हादसे की वजह से उत्साहजनक माहौल दुखद में बदल गई।
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