मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

सहकारिता की मांग समय की आवश्यकता है


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह माननीय भैयाजी जोशी ने कहा –

जब कभी सामाजिक जीवन के संगठनों का इतिहास लिखा जायेगा तब सहकार भारती का वर्णन किया जायेगा। जिसमे भिलाई का यह महिला सम्मेलन भी इतिहास मे दर्ज होगा। १००० सालों के आक्रमणों की समीक्षा की जाये तो निष्कर्ष सामने आता है कि इन आक्रमणों का प्रभाव सांस्कृतिक जीवन मूल्यों पर नही पड़ा जिसका एक मात्र कारण सशक्त पारिवारिक ईकाईयां है परन्तु आज इन मूल्यों पर आघात कर समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। पतन और क्षरण की इस प्रक्रिया को रोकने के लिये मातृशक्ति को दुर्गा के रूप मे आगे आना होगा। 


सहकार भारती के प्रथम अखिल भारतीय महिला सम्मेलन के समापन सत्र मे मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने सरकार्यवाह भैयाजी जोशी के समक्ष संयुक्त राप्ट्र संघ के को - ऑपरेटिव लोगो का भारत मे उद्घाटन किया। इस दौरान राप्ट्रीय अध्यक्ष सतीश मराठे ने जानकारी दी कि यूएनओ द्वारा वर्ष २०१२ को सहकार वर्ष घोषित कर एक लोगो बनाया गया है। यह लोगो शुभारंभ करने का अधिकार  यूएनओ ने सहकार भारती को दिया है। जिसे रमन सिंह इस कार्यक्रम में शुभारंभ कर रहे हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह ने कहा सहकारिता के माध्यम से छ.ग. मे भी अद्वितीय कार्य चल रहा है। छ.ग. की जीडीपी ग्रोथ दर ११.७० प्रतिशत है तो इसके पीछे सहकारिता का भी योगदान है उन्होंने पीडीएस सिस्टम मे महिला स्व. सहायता समूह की भूमिका और बस्तर क्षेत्र मे वन समितियों के माध्यम से पीडीएस संचालन की पूरी योजना को बताते हुए कहा कि सरकार मे आते ही हमने जाना कि पीडीएस को जिंदा रखना है तो धान खरीदी होनी जरूरी है। हमने छ.ग. की सैंकड़ों सहकारी समितियों के माध्यम से ६ हजार करोड़ रू. के लगभग ५५ लाख मिट्रिक टन धान खरीद कर मिलिंग करके गरीबों तक एक और दो रू. किलो मे पंहुचाने का सेटअप तैयार किया जो सफलता से चल रहा है और पूरे देश के लिये रोल मॉडल है। डॉ. रमन सिंह ने बस्तर मे लघु वनोंपज के क्षेत्र मे सैंकड़ो स्व. सहायता समूहों द्वारा बांस आधारित उत्पाद के साथ साथ ईमली, हर्रा, बहेरा और मुख्य रूप से तेंदुपत्ता व्यवसाय मे माध्यम से सफल हो रहा है सरकार ने महिला कोष स्थापना करके ७५ हजार रू. तक ऋण ब्याज मुक्त दिया जा रहा है। महिला स्व. सहायता समूहो के माध्यम से शराब बंदी की दिशा में अहम कदम उठाते हुए गांव गांव में भारत माता वाहिनी का गठन चल रहा है जिसे सरकार पूरा संरक्षण दे रही है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मे सतीष मराठे ने कहा सहकार भारती का कार्य पूर्वोत्तर राज्यों सहिंत ३५० जिलों मे विविध प्रकार की संस्थाओं के माध्यम से चल रहा है। उन्होने सहकारिता की शक्ति को महान शक्ति बताते हुए कहा देश मे समस्त स्व. सहायता समूहो की कुल सदस्यता संख्या २३ करोड़ से भी अधिक है जो कि विश्व के समस्त स्व. सहायता समूहों की सदस्यता का २५ प्रतिशत है। उन्होंने सहकार वर्ष २०१२ में ९ एवं १० फरवरी को सहकार भारती द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित कर पूरे विश्व में छोटे से छोटे व्यक्ति के वित्तीय सुदृढ़ीकरण पर देश विदेश के चिंतकों और विचारकों को आमंत्रित करने के कार्यक्रम की घोपणा की।

संध्या ताई कुलकर्णी ने कहा इस आयोजन मे २१ प्रांतों से ९४६ महिलाओं ने भाग लिया है और स्थानिय स्तर पर लगभग २००० महिलाएं शामिल हुई है। उन्होंने कहा घर सम्हालना भी सहकारिता है। घर का सहकार बिगड़ता है तो परिवार बिगड़ जाता है। महिला का विकास होने से समाज व राप्ट्र का विकास स्वमेव होगा।

मंचासीनों मे विधान सभा अध्यक्ष धरम लाल कौशिक, केबिनेट मंत्री हेमचंद यादव, सुश्री लता उसेंडी, संसदीय सचिव विजय बघेल, सांसद सरोज पाण्डे, प्रदेश अध्यक्ष सुधाकर कोण्डापुरकर, राप्ट्रीय महामंत्री सुभाष मांडगे, राप्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन शामिल थे। समापन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आयोजन समिति के व्यवस्था प्रमुख सुरेंद्र पाटनी, प्रदेष संगठन मंत्री कनिराम नंदेश्वर और संयोजिका स्मिता ताई जोशी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। समापन सत्र के पूर्व हुए मुक्त चिंतन मे देश भर से आयी महिलाओं ने अपने अपने अनुभव मंच पर आकर बतायें और ३ अलग अलग प्रस्ताव पारीत किये जिसमे पहला प्रस्ताव देश की निर्णय प्रक्रिया मे महिलाओं की भागीदारी, दूसरा प्रस्ताव राप्ट्रीय पुर्ननिर्माण में महिलाओं की सहभागिता व तीसरा प्रस्ताव सहकारी संस्थाओं पर आयकर आरोपित करने का विरोध प्रस्ताव है।

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