मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

विद्यालय खोलने के लिए अन्नागिरी

अन्ना के सत्याग्रह से पुरे देश में जनजागरण हुआ उसके परिणाम अब दिखने लगे अहि एक ऐसी ही मिसाल छतीसगढ़ के ग्रामीण अंचल में दिखने को मिली जब बच्चों ने अन्नागिरी दिखाई 
          चारामा विकासखण्ड के मरकाटोला में विद्यालय खोलने की मांग को लेकर शाला का बहिष्कार कर रहे बच्चों ने अनशन का फैसला लिया है.यह कदम तब उठाया गया जब प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से इस आंदोलन को खत्म करने की पहल नही की गयी . ग्रामीणों व छात्रों का कहना है कि पिछले साल से शिक्षा विभाग तथा जनप्रतिनिधियों कों आवेदन दिये जा रहे है। २९ अगस्त कि स्कूल में ताला बंदी करने बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया इसके बाद छात्र-छात्राएं धरने पर बैठ गयी। छात्र रोज गणवेश में (स्कूल ड्रेस) में आते है और पंचायत भवन के सामने धरने पर बैठते है।
           छात्रों का कहना है कि उन्हें इस बात कि प्रेरणा अण्णा हजारे जी से मिली है। विद्यालय की छात्रा मिनाक्षी ने बताया कि गांव में हाईस्कूल खोलने की मांग को लेकर वे शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे है।

सामथर्य ही पुण्य, दुर्बलता ही पाप

हदय में हो प्रेम लेकिन  शक्ति भी कर में प्रबल लो।
  यह सफलता मंत्र है करना इसी की साधना है॥

किसी भी स्थिति में दुर्बल को कष्ट भोगना पड़ता है। कितना भी ऊपरी तालेमल अथवा हेरफेर उसे बचा नहीं सकता। दुर्बल रहना संसार का सबसे जघन्य पाप है, क्योंकि इससे स्वयं हमारा विनाश होगा और दूसरों की हिंसा की वृत्ति को प्रोत्साहन मिलेगा। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि अपने शरीर की विनाश से रक्षा करना सर्वोच्च धर्म का एक अंग है। शारीरिक संरक्षण के एकमात्र आधार शक्ति है।

विश्वमित्र के विषय में बताया जाता है कि एक बार बड़े अकाल के समय उन्हें कई दिनों तक भोजन नहीं मिला। एक दिन उन्होंने एक चाण्डाल के घर में एक मृत कुत्ते की सड़ती हुई टांग पड़ी हुई देखी। विश्वमित्र ने उसे झपटकर ले लिया और परमात्मा को भोग लगाकर उसे खाने को सिद्ध हुए। चाण्डाल विस्यम से बोला- अरे ऋषि, तुम कुत्तों की टांग कैसे खा रहे हो? विश्वामित्र ने उत्तर दिया-संसार में तपस्या और सतकर्म करने के लिए मुझे पहले जीवित रहना और शक्तिशाली होना आवश्यक है।

परन्तु पिछले कुछ दशकों में हमारे देश में जो विचार रहा है, उसमें शक्ति को पापपूर्ण और गर्हित माना जाता है। अहिंसा के गलत अर्थ लगाने ·के लिए राष्ट्र के मस्तिष्क के विवेचन-शक्ति समाप्त हो गई है। हम लोग शक्ति को हिंसा मानने लगे है तथा अपनी दुर्बलता को गौरवास्पद समझने लगे है।

एकबार एक साधू ने कहा-अहिंसा शब्द ही हिंसा के असलीवाचक भाव में आ लगाकर हिंसा से निकली हुई क नकारात्मक अभिव्यक्ति है। जो हिंसा करने में पर्याप्त समर्थ है, परन्तु जो संयम, विवेक और दया के कारण ऐसा नहीं करता, केवल उसी व्यक्ति के लिए यह कहा जा सकता है कि वह अहिंसा का आचरण करता है। मान लो, कोई तगड़ा व्यक्ति सड़क पर जा रहा है और उससे कोई टकरा जाता है। यदि यह पहलवान व्यक्ति दया करके कहे-ठीक है, तुमने मेरे प्रति जो अनुचित कार्य किया है, उसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करता हूँ, तब हम कहते है कि उस बलवान व्यक्ति ने अहिंसा का व्यवहार किया है, क्योंकि यद्यपि वह प्रहार करने में और सिर तोडऩे में समर्थ है, परन्तु उसने स्वयं को नियंत्रित किया।

मान लो, एक पतला-दुबला मच्छर जैसा व्यक्ति जा रहा है, कोई उसके कान खींच लेता है और वह मच्छर सिर से पैर तक कांपता हुआ कहता है, महाशय! मैं आप को क्षमा करता हूँ, तो कौन उसका विश्वास करेगा? कौन कहेगा कि वह अहिंसा का पालन कर रहा है?

खुर्मुंडा की पहाड़ी में देवताओं के चित्र

कवर्धा जिले में मैकल श्रेणी पर्वत के तराई के बीच ग्राम खुरमंडा की पहाड़ी में तीन प्राकृ तिक गुफाएं मिली है। इन गुफाओं के दीवारों में भगवान गणपति, लक्ष्मी एवं शेषनांग की आकृतियां उकेरी गई है। यह तीनों गुफाएँ लगभग १५ से ३० फीट गहरी है। जब से इन गुफाओं का पता चला है तब से यहां श्रद्धालुओं के प्राकृतिक प्रेमियों को तांता लगा हुआ है।
           सबसे बड़ी गुफा ३० फीट गहरी है इसकी दीवारों में मां लक्ष्मी की आकृति है, दूसरी गुफा २० फीट गहरी है इसमें गणपति तथा तीसरा १५ फीट गहरी गुफा में शेषनांग की आकृति उकेरी गई है।    

गाँवों में सूचना के अधिकार अधिनियम का प्रचार

छत्तीसगढ़ के ९,७३४ पंचायतों में ग्राम सभा में सूचना के अधिकार अधिनियम २००५ की जानकारी ग्रामीणों के दी जायेगी।  ग्राम पंचायतों में प्रदेश सरकार की योजनाओं की समीक्षा आम जनता के द्वारा होगी। योजनाओं के लिए हितग्राहियों का चयन भी ग्राम सभा में होगा। सभा में पिछली बैठकों में पारित कार्य के क्रियान्वयन का प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया जायेगा। इसी प्रकार वार्षिक  विकास प्रतिवेदन भी होगा। २००७-०८ से २००९-१० से स्वीकृत कार्य, लागत व निर्माण कार्यों पर किये गये व्यय का अनुमोदन ·के साथ उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जारी करने का प्रस्ताव पारित किया जायेगा। सार्वजनिक स्वच्छता और संपूर्ण स्वच्छता अभियान के तहत घरों में निर्मित और निर्माणाधीन पक्के सौचालयों और उनके स्वीकृत प्रकरणों की समीक्षा भी ग्राम सभाओं में  की जायेगी। २००९-१० में ग्राम पंचायतों कों उपलब्ध ·राई गई राशि के आय-व्यय  की जानकारी प्रस्तुत कर सभा में अनुमोदन कराया जायेगा। ग्राम पंचायतों में करो  की वसूली व बकाया करो की ताजा स्थिति की समीक्षा तथा नये करो की संभावना पर भी चर्चा की जायेगी।      

प्रधानमंत्री का राजधर्म - संपादकीय

प्रधानमंत्री जी कहते है कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मेरे पास कोई जादू कि छड़ी नहीं, लेकिन जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत आपके पास पहुंच रहे है उनके खिलाफ तो कार्यवाही करके राजधर्म का मान रखिये। नहीं तो आपकी ईमानदारी पर भी जनमत विश्वास नहीं करेगी। आपकी भी सरकार इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकर की तरह भ्रष्टाचार के आरोप में जन विश्वास को न गंवा दे ।
                 प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि पी.चिदंबरम पर उन्हें पूरा भरोसा है। कैबिनेट में मतभेद की जो भी खबरें आ रही हैं वे गलत हैं। उन्होंने कहा कि अपने सभी मंत्रियों पर मुझे पूरा भरोसा है।प्रधानमंत्री ने चुनाव का जिक्र छेड़ दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष देश पर मध्यावधि चुनाव लादना चाहता है, लेकिन मेरी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।चुनाव कि चर्चा छेड़ कर प्रधानमंत्री ने पार्टी के बाहर के ही नहीं पार्टी के अंदर के विरोधियों को भी चेतावनी दे दी है कि अगर कोई यह सोच रहा हो कि मौजूदा संकट का फायदा उठाते हुए नेतृत्व परिवर्तन का एजेंडा आगे बढ़ाया जा सकता है तो संभल जाए। मनमोहन सिंह का संदेश साफ है कि चुनाव के बगैर नेतृत्व परिवर्तन संभव नहीं।
                  इस पूरे घटनाकरम से यह बात सिद्ध होती है कि कांग्रेस में अंदरुनी तौर पर भारी उथल-पुथल मची हुई है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार पर घिरती जा रही यूपीए सरकार कि मुश्किलें कम नहीं हो रही है। इसके बावजूद सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के द्वारा चिदम्बरम को बचाना राजधर्म के खिलाफ है। एक ओर ए.राजा और कनिमोझी के मामले में कांग्रेस न तत्परता दिखाई है, लेकिन अपने मंत्रियों के फंसते ही बौखलाकर  विपक्ष पर चुनाव थोपने का आरोप लगा रही है जबकि उनकी सरकार के मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने मंत्रालय से भेजी गई चिट्ठी में चिदम्बरम को कटघरे में खड़ा किया है।     

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

यदि ऐसा न हुआ तो .....

भारत को आतंकवाद की लड़ाई में अब कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। संसद में सभी पार्टियों को कुछ बातों पर अंतर्राष्ट्रीय नीति बिषय के पर सहमति देनी होगी। यदि ऐसा न हुआ तो भारत पिछले युद्धों में हुई गलती को फिर से दोहरायेगा । ताजा घटनाक्रम में अमेरिका के द्वारा पाकिस्तान को आतंकवादियों को मदद आरोप लगाया गया है, इसके जबाव में पाकिस्तान ने उल्टे अमेरिका को ही दोषी ठहराया है। दूसरी ओर पाकिस्तान से चीन भी अपनी दोस्ती मजबूत कर रहा है और हर संभव मदद देने की बात कह रहा है।
इस घटनाक्रम को देखते हुए भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतों को मुखरता से उठाना होगा और यह बात स्पष्ट रुप से कहनी होगी कि जो भी देश पाकिस्तान को मदद करेगा वह तय करे कि- आतंकवाद की मुख्य केन्द्र बिन्दु पाकि अपनी हरकतें बंद करेगा। यदि ऐसा न हुआ तो मदद करने वाला देश भी आतंकी सहयोगी कहलायेगा।

भारत को यह नहीं भुलना चाहिए कि आज जो करोड़ों रुपये आतंकवाद के नाम पर बर्बाद किये जा रहे है, वह देश के विकास में लगाये जा सकते है।

अमेरिका कि चेतावनी

अमेरिका का आरोप है कि हक्कनी नेटवर्क को पाकिस्तान की संस्था आईएसआई मदद कर रही है। अमरीका के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने यह रहस्योद्धाटन किया है कि पाकिस्तान सरकार ने ट्रक से बम हमला करने वाले आतंकवादी समूह को मदद किया था। इस हमले में ७० अमरीकी और नाटो सैनिक घायल हो गए थे। इस घटना से पाकिस्तान में हालात इतने बिगड़ गये कि प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी को सर्वदलीय बैठक बुलानी पड़ी। बैठक के बाद पाकिस्तान में अमेरिका से हक्कनी नेटवर्क के खिलाफ सबूत मांगे है। इस घटना से दोनों देशों के बीच संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे है। अमेरिका जहां पाकिस्तान द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर खुद सैन्य कार्यवाही के विकल्प को खुला रखने की बात कह रहा है, वहीं पाकिस्तान ने भी अमेरिका के चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने उसकी जमीन पर हमला किया तो नतीजे गंभीर हो सकते है।

पाक है विश्वासघाती : अमेरिका

अमरीका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में इसका एक सदस्य पाकिस्तान को विश्वासघाती करार देते हुए सदन में एक प्रस्ताव रखा है कि पाकिस्तान को परमाणु हथियारों की सुरक्षा के लिए दी जाने वाली सहायता को छोड़कर शेष सभी सहायता बंद की जाए। अमरीका से बढती खटास को देखते हुए पाकिस्तान अब चीन से अपनी दोस्ती को और मजबूत करने में जुट गए हैं। ऐसे में चीन के उपप्रधानमंत्री का पाक में उपस्थित होना नए राजनैतिक गठजोड कि ओर संकेत दे रहा है। अमरीका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में प्रस्ताव रखते हुए टेडपो ने कहा, पाकिस्तान को मदद देकर हम अपने दुश्मन को मदद कर रहे हैं। उन्हें उस क्षेत्र में अमरीकियों को नुकसान पहुंचाने और अमरीका के कार्यों पर पानी फेरने के लिए मदद कर रहे हैं| उन्होंने कहा, यह तथाकथित सहयोगी अरबों डॉलर लेता है और उन आतंकवादियों को मदद करता है, जो हम पर हमला करते हैं।

अमेरिका का आतंकियों से संपर्क  पाक

पाकिस्तान ने साफ किया- हक्कनी नेटवर्क को सरकार या आईएसआई ने भी मदद नहीं किया है। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा कि हक्कनी नेटवर्क कभी अमेरिका की खुफिया एजेंसी सेन्ट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) का दुलारा था। खार ने अमेरिका के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि-अफगानिस्तान के काबूल में अमेरिका दुतावास और वदाक  प्रांत में अमेरिकी ठिकाने पर इस महीने हुए हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई ) ने हक्कानी नेटवर्क को मदद दी थी। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादियों से संपर्क की बात करें तो अमेरिका की संस्था सीआईए का दुनिया भर के आतंककियों से संपर्क रहे है। रब्बानी ने अलजजीरा टीवी से चर्चा के दौरान यह बात कही।

सीआईए कार्यालय में हमले

अफगानिस्तान में हमले अफगानिस्तान में अमेरिका खुफिया एजेंसी के कार्यालय में कुछ समय से लगातार हमले हो रहे है। सीआईए का कार्यालय होटल एरियाना में है यह होटल अमेरिकी दूतावास और राष्ट्रपति भवन से कुछ दूरी पर है। यह अतिसुरक्षित इलाका माना जाता है।

सबसे खतरनाक आतंकवादी अमेरिका व पाकिस्तान के रिश्तों में हटाश उस समय आई, जब पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी सैनिको ने अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को घेर कर मारा था। इस कार्यवाही से पूरी दुनिया में अमेरिका ने प्रशंसा प्राप्त की जबकि पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस बात से नाराज चल रहे है। इस घटना के बाद सब ओर से यही सवाल उठने लगे थे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी पाकिस्तान में आराम से रह रहा हो और वहां की सरकार को खबर न हो।

चीन और पाकिस्तान की दोस्ती

अमेरिका की ओर से बढते दबाव के बीच चीन के उपप्रधानमंत्री एवं जनसुरक्षा मंत्री श्री मेग  जियान्झू की पाक यात्रा के दौरान यूसुफ रजा गिलानी उनसे मिले |श्री गिलानी ने देश की अखंडता एवं संप्रभुता के पक्ष में बयान देने के लिए श्री जियान्झू को धन्यवाद भी दिया। उधर बीजिंग से प्राप्त समाचार के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने पाकिस्तान की पीठ थपथपाते हुए कहा, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान ने अहम योगदान दिया है। होंग ने कहा कि चीन इस बात को समझता है कि पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर आतंकवाद के खिलाफ रणनीति बनाता है और चीन उसक समर्थन करता है।

एशिया महाद्वीप में वर्चस्व कि लड़ाई

२००१ से ही एशिया में हुई अमेरिकी सैन्य कार्यवाही में सबसे बड़े सहयोगियों के रुप में पाकिस्तान का ही योगदान रहा। यह लड़ाई अमेरिका द्वारा भले ही आतंकवाद के खिलाफ हो, लेकिन अमेरिका के लिए इसका दूसरा अर्थ एशिया महाद्वीप में वर्चस्व बढ़ाना भी है। नाटो सेना इसमें उसकी मददगार रही है।

अमेरिका की तिलमिलाहट

अमेरिका आतंकवाद को मिटाने के नाम पर पाकिस्तान को अरबों डॉलर देता आ रहा है लेकिन वह खत्म होने की बजाय बढ़ता क्यों जा रहा है और सबसे बड़ा सवाल है कि पाकिस्तान में ही आतंकवाद को क्यों बढ़ावा मिल रहा है। इन सभी घटनाओं के पृष्ठभूमि में जाकर देखें तो अमेरिका पाकिस्तान में ईराक की तरह से भूमिका निभा रहा है। सद्दाम हुसैन को भी हथियारों से सुसज्जित करने वाला अमेरिका ही था, और सैन्य कार्यवाही के नाम पर उसे नष्ट करने वाला भी अमेरिका ही था। अमेरिका अब तक खामोश था लेकिन जैसे ही उसके स्वयं का दूतावास आतंकी निशाने पर आया तब से वह तिलमिला गया है। अमेरिका ने ऐसा ही कदम सोवियत संघ से मोर्चा लेने के लिए तालिबान को खड़ा करने में की। लेकिन उसी तालिबान ने अमेरिका कि नाक में दम कर रखा है।

हक्कानी गुट को अमेरिका ने की थी मदद

अफगानिस्तान के हक्कानी गुट में करीब १५ हजार चरमपंथी लड़ाके है, जो दुर्गम पहाड़ों के बीच छापामार लड़ाई करने में सक्षम है। हक्कानी गुट एक अपराधिक कबिला है जिसमें अपहरण, फिरौती, स्मगलिंग और लेन-देन के जरिए पैसा इकट्ठा किया है और अपने लड़ाकों की फौज तैयार किया है। इस गुट के नेता जलालुद्दीन हक्कानी के सीआईए के बड़े अधिकारियों के साथ-साथ सऊदी खुफिया एजेंसी और अलकायदा से भी नजदीकी रिश्ते थे। पाकिस्तान स्वयं स्वीकार करता है कि वर्ष १९८० में अफगानिस्तान में सोवियत रुस के खिलाफ पाकिस्तान ने भी अमेरिका के कहने पर सीआईए का साथ दिया है।

भारत की बात सच

भारत लंबे अरसे से पाकिस्तान की सेना, खुफिया एजेंसी और खुद सरकार के कुछ लोगों कों आतंकवादियों कों मदद देने का आरोप लगाता रहा है। लेकिन, अब जाकर अमेरिका ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ के निवर्तमान अध्यक्ष एडमिरल माइक मुलेन ने सिनेट के समक्ष इस बात का सत्यापन किया कि अफगानिस्तान में सक्रीय उग्रवादी गुट हक्कानी नेटवर्क आईएसआई कि एक शाखा के रुप में काम करता है। पिछले दिनों अफगानिस्तान के भूतपूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की एक मानव से बम के हत्या करवाने में इसी गुट का हाथ है।

भारतीय सैनिकों का साहसपूर्ण कदम

पाकिस्तान ने भारत में आतंक फैलाने के इरादे से अब महिलाओं कों भी आतंक का प्रशिक्षण देने हेतु ३ केन्द्र पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मानशेरा, तारबेला और छत्तर में चला रहा है। यह कार्य पाकिस्तान तथा उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई मिल जुलकर कर रही है। जानकारी के  अनुसार पाकीस्तान अधिकृत कश्मीर में अब भी करीब ४० से ४५ आतंकी प्रशिक्षण चल रहे है। इसके अलावा आईएसआई ने वर्तमान तथा पूर्व सैनिकों व सैन्य अधिकारियों कों मिलाकर एक नियंत्रण दल बनाया है, जो आतंकियों कों प्रशिक्षण, नेतृत्व क्षमता, विकास व पाक अधिकृत कश्मीर में गतिविधियों कों निर्धारित करेगा। इसके अलावा यह दल भारत पाक सीमा के निकट स्थित नियंत्रण रेखा से घुसपैठ कि योजना बनाएगा। भारतीय सैनिकों ने अपने साहस पूर्ण कदम से पिछले ७ माह से घुसपैठ की करीब ५० कोंशिशों को नाकाम कर दिया है।          

भगवान वाल्मीकि का प्रकटोत्सव –

आश्विन मास की शरद पूर्णिमा को आदि कवि भगवान वाल्मीकि का जन्म दिवस मनाया जाता है। भगवान वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की जो संसार का पहला लोककाव्य है। एक दिन अनायास ही विहार करते हुए क्रौंच पक्षी के जोड़े में से एक पक्षी को व्याध ने मार डाला। पक्षी की चीत्कार सुन, वहीं पर गिरता देख, उन्हें इतना दुख हुआ की उनके मुख से एक छंद निकल पड़ा, फिर उसी छंद में उन्होंने नारद से सुना हुआ श्रीराम का उज्ज्वल चरित्र निबद्ध किया।

श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता का परित्याग किया तो देवर लक्ष्मण ने आम के पास गर्भवती सीता जी को छोड़ दिया था। ऋषि वाल्मीकि ने सीता जी को अपने आश्रम में रखा, जहाँ उन्होंने लव और कुश को जन्म दिया। उन्होंने दोनों बच्चों का लालन-पालन किया और महारानी सीता की जीवन लीला सुनाई। बच्चों के मधुर स्वर द्वारा श्लोको में संगीतमय राम-कथा सबके मन को मोहित करती थी। एकतारे पर दोनों भाई वाल्मीकि के निर्देशानुसार गायन करते थे। घोर तपस्या एवं भगवान के ध्यान में इतना मग्न हो गए की उनके शरीर पर चीटियों ने अपना घर बना लिया। उनके संपूर्ण शरीर पर बॉबी बन गई इसलिए उन्हें महातपस्वी भगवान वाल्मीकि के नाम से पुकारा जाने लगा। वाल्मीकि रामायण में तत्कालीन भारतीय समाज का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत है। भारत का आचार विचार सदैव से आदर्श और मर्यादित रहा है। धर्म से अनुशासित होने के कारण सारे संस्कार तथा समय संपन्न होते थे। वेद का अध्ययन और अध्यापन सर्वव्यापी था। रामायण महाकाव्य को तत्कालीन समाज ने हृदय से स्वागत किया। रामायण गान उनके लिए नया, चमत्कारी और सुख देने वाला अनुभव सिद्ध हुआ।

इंसानी करतूत से मचती है तबाही

श्रीलता मेनन / 
प्राचीन परंपराओं कि अनदेखी -
सिक्किम के स्थानीय निवासी लेपचा अक्सर ही पहाड़ों को काटकर बांध बनाने पर रोक या फिर इसके नियमन की मांग करते रहे हैं लेकिन उनकी इस मांग को हमेशा अनसुना कर दिया गया। अक्सर भूकंप के झटके झेलने वाले लेपचाओं की एक पसंदीदा कहावत है, 'भूकंप लोगों की जान नहीं लेता बल्कि इमारतें जान लेती हैं।' इस कहावत की सच्चाई एक बार फिर हाल ही में आए भूकंप में हुए जान-माल के नुकसान के बाद पता चली। पहाड़ों से घिरे सिक्किम के लिए भूकंप के झटके कोई बड़ी बात नहीं है।

अनुमतियों के खिलाफ आवाज
पौराणिक कथाओं और किवंदतियों पर यकीन करने वाले सिक्किम के स्थायी समुदायों में से एक लेपचा काफी अरसे से राज्य में पनबिजली परियोजनाओं को मिल रही अंधाधुंध अनुमतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। ये लोग पहाड़ों में विस्फोट कर बनाई गई सुरंगों के जाल में खासतौर पर तीस्ता नदी स्थायी नुकसान पहुंचाने के खिलाफ हैं।

हालांकि नदी में पानी की कमी पारिस्थितिकीय कारणों से भी हो सकती है लेकिन जिस तरीके से इस नदी को सुरंगों में धकेला जा रहा है वह बेहद चिंताजनक बात है। इन सुरंगों को खोदने के लिए उन पहाड़ों में विस्फोट किया गया, जिन पर यह राज्य जोखिम के साथ खड़ा हुआ है। भूकंपों के लिहाज से राज्य की संवेदनशीलता किसी से छिपी नहीं है और यहां के निवासियों का कहना है हर मिनट भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। यहां के निवासी पीढिय़ों से भूकंप के झटकों के साये में रहते आए हैं। लेपचा की पौराणिक कथाओं में इस पहाड़ को स्वर्ग तक ले जाने वाली सीढ़ी माना गया है। लेकिन जाहिर है कि अब लेपचाओं का यह पहाड़ वैसा नहीं रह गया है।

हाल ही में सिक्किम में आए भूकंप में 100 से भी ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं जबकि राज्य से जुड़े भूटान में सिर्फ एक ही व्यक्ति की मृत्यु हुई। भूटान के पहाड़ों के 75 फीसदी हिस्से में मौजूद वन्य क्षेत्र ने मिट्टी को जकड़े रखा जबकि सिक्किम के पहाड़ों की प्रत्येक चोटी पर अब वन्य क्षेत्र की जगह निर्माण कार्यस्थल देखे जा सकते हैं।

दो साल पहले राज्य सरकार ने अनशन पर बैठे अफेक्टेड सिटीजंस ऑफ तीस्ता (एसीटी) की मांगों के दबाव में करीब 29 पनबिजली परियोजनाएं रद्द की थीं। उस समय नागरिकों ने मांग की थी कि उत्तर सिक्किम में मौजूद उनकी पौराणिक जमीन जोंगु पहाड़, जो कंचनजंघा जैव-संरक्षण क्षेत्र में आता है और भूकंप के केंद्र मांगन के करीब है, के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। लेकिन वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस क्षेत्र में विस्फोट रोकने या उनकी निगरानी करने की निवासियों की मांग को नजरअंदाज कर दिया।
एसीटी द्वारा वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय में नदी घाटी व पनबिजली परियोजनाओं के लिए बनी विशेषज्ञ समीक्षा समिति के चेयरमैन को लिखे गए पत्र में उन्होंने तीस्ता एचईपी के स्टेज 3 के लिए अतिरिक्त नियम व शर्तें लागू करने की मांग की थी। दिलचस्प है कि हाल ही में बिजली मंत्री सुशील कुमार श्ंिांदे ने इस परियोजना समेत त्रिपुरा में लगने वाली नई परियोजनाओं की काफी तारीफ की थी। शिंदे ने कहा था कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत इन परियोजनाओं की मदद से सरकार 65,000 मेगावॉट बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहेगी। तीस्ता 3 की बिजली उत्पादन क्षमता 1,200 मेगावॉट है।

एसीटी ने मंत्रालय को लिखा, 'तीस्ता ऊर्जा लिमिटेड को तीस्ता एचईपी स्टेज 3 विकसित करने के लिए पर्यावरण संबंधी स्वीकृति देते समय पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ डायनामाइट का कोई जिक्र ही नहीं किया गया है। इस कारण परियोजना स्थल पर अंधाधुंध विस्फोट किए जा रहे हैं, खासतौर पर रामन में चल रहे बांध निर्माण कार्यस्थल व इससे जुड़े अन्य निर्माण स्थलों पर। यह भी पता चला है कि पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान सुरंग खोदे जाने के कारण हो रहा है, जैसा पारंपरिक पनबिजली परियोजनाओं में नहीं किया जाता है। इससे भी गंभीर व चिंताजनक बात यह है कि अदिति 2 (तेंग) के ऊपरी इलाके में अगस्त 2002 में अभूतपूर्व भू-स्खलन और बाढ़ आई थी। इस क्षेत्र में विस्फोट होगा, तो पहले से ही अशांत इस इलाके में हालात और मुश्किल हो जाएंगे, जिनके परिणाम काफी खतरनाक हो सकते हैं।'

पत्र में लिखा गया था, 'आपसे विनम्र निवेदन है कि परियोजना स्थल पर विस्फोट के साथ नई शर्तें जोड़ी जाए, खासतौर पर पानम एचईपी स्वीकृति के लिए यह पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण शर्त थी। इस इलाके में निर्माण स्थलों पर हो रहे सभी विस्फोट तब तक रोक दिए जाएं, जब तक एक ऐसी स्वतंत्र एजेंसी की नियुक्ति नहीं हो जाती, जो विस्फोट की तीव्रता और दबाव मापने के लिए जरूरी उपकरण लगाए। इससे नियंत्रित हालात में विस्फोट करने में मदद मिलेगी।' लेकिन इस पत्र में की गई मांग पर कोई कदम नहीं उठाया गया। दरअसल आंकड़े और जरूरतें काफी बड़ी हैं। वे यहां के पहाड़ों और निवासियों के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। आखिरकार सरकार को पांच साल में 64,000 मेगावॉट और अगले पांच साल में 1 लाख मेगावॉट बिजली उत्पादन के लक्ष्य को हासिल जो करना है।

इंसानी जरूरत, लालच और प्रकृति के बीच की दुविधा को लेपचाओं की एक कहावत बड़े बेहतरीन ढंग से पेश करती है। कहावत है, 'जब आखिरी पेड़ काट दिया जाएगा, जब आखिरी नदी के पानी में जहर घोल दिया जाएगा और जब आखिरी मछली पकड़ ली जाएगी, तभी आपको पता चलेगा कि पैसा नहीं खाया जा सकता है।'
                                                                                         साभार -बिजनेश स्टैण्डर्ड

हम शौर्य और पराक्रम भूल गये

राजबाला देवी लगभग साढ़े तीन महीने से जिंदगी और मौत से जूझती रही। आखिरकार वह जिंदगी की जंग हार गई। इस हालात तक उसे पहुंचाने में दिल्ली पुलिस की लाठी जिम्मेदार थी। यह बर्बरतापूर्ण घटना दिल्ली के रामलीला मैदान में ४ जून २०११ की रात में हुई, जब सोये हुए बूढ़े, बच्चों और महिलाओं पर दिल्ली पुलिस ने आंसु गैस और लाठियों का प्रयोग किया। शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे लोगों को खदेडऩे के लिए दिल्ली पुलिस के ५००० जवानों ने यह कार्यवाही की। यह किस कारण हुआ, दिल्ली सरकार अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाई है। इस घटना में घायल राजबाला को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब ही स्पष्ट हो गया था कि लाठियों के प्रहार के कारण वह लकवाग्रस्त हो गई है। लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि अफजल गुरु और देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को क्षमा दान के लिए जो राज्य सरकारें विधानसभा में विधेयक पास करती है वह इस सत्याग्रही राजबाला देवी की हत्या पर पुलिस के खिलाफ कार्यवाही के लिए मौन साधे क्यों बैठी है? सरकार ने जिस तरीके से इस पूरी घटना को अंजाम दिया वह वास्तव में प्रशासनि· प्रक्रीया पर कई सवालिया निशान खड़े करता है।
आखिर देश आज अपने को इतना लाचार क्यों पा रहा है? आर्याव्रत सदियों से शक्ति का उपासक रहा। हम भगवान राम, कृष्ण के उपासक है। उन सभी देवताओं ने आसुरी शक्ति (अनीति व अन्याय) के विनाश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। हम आज भी इनके शौर्य को अपनी संकृस्ति और परंपरा के रुप में आत्मसात करते है। इसके बावजूद अन्याय व अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लोग अब यदा-कदा ही क्यों दिखाई देते है?

वर्तमान समय का शायद सबसे बड़ा सच यह है ·कि हम अपने दुखों के लिए एक अवतार की खोज मे है और सोचते है वह आकर हमारे सारे दुख-दर्द दूर कर देगा। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि राम के पराक्ररम और कृपा को पाने के लिए हनुमान, जटायु, शबरी, अहिल्या और विभीषण की तरह विश्वास, त्याग और तपस्या करनी पड़ती है।