सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

यदि ऐसा न हुआ तो .....

भारत को आतंकवाद की लड़ाई में अब कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। संसद में सभी पार्टियों को कुछ बातों पर अंतर्राष्ट्रीय नीति बिषय के पर सहमति देनी होगी। यदि ऐसा न हुआ तो भारत पिछले युद्धों में हुई गलती को फिर से दोहरायेगा । ताजा घटनाक्रम में अमेरिका के द्वारा पाकिस्तान को आतंकवादियों को मदद आरोप लगाया गया है, इसके जबाव में पाकिस्तान ने उल्टे अमेरिका को ही दोषी ठहराया है। दूसरी ओर पाकिस्तान से चीन भी अपनी दोस्ती मजबूत कर रहा है और हर संभव मदद देने की बात कह रहा है।
इस घटनाक्रम को देखते हुए भारत को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतों को मुखरता से उठाना होगा और यह बात स्पष्ट रुप से कहनी होगी कि जो भी देश पाकिस्तान को मदद करेगा वह तय करे कि- आतंकवाद की मुख्य केन्द्र बिन्दु पाकि अपनी हरकतें बंद करेगा। यदि ऐसा न हुआ तो मदद करने वाला देश भी आतंकी सहयोगी कहलायेगा।

भारत को यह नहीं भुलना चाहिए कि आज जो करोड़ों रुपये आतंकवाद के नाम पर बर्बाद किये जा रहे है, वह देश के विकास में लगाये जा सकते है।

अमेरिका कि चेतावनी

अमेरिका का आरोप है कि हक्कनी नेटवर्क को पाकिस्तान की संस्था आईएसआई मदद कर रही है। अमरीका के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने यह रहस्योद्धाटन किया है कि पाकिस्तान सरकार ने ट्रक से बम हमला करने वाले आतंकवादी समूह को मदद किया था। इस हमले में ७० अमरीकी और नाटो सैनिक घायल हो गए थे। इस घटना से पाकिस्तान में हालात इतने बिगड़ गये कि प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी को सर्वदलीय बैठक बुलानी पड़ी। बैठक के बाद पाकिस्तान में अमेरिका से हक्कनी नेटवर्क के खिलाफ सबूत मांगे है। इस घटना से दोनों देशों के बीच संबंध लगातार बिगड़ते जा रहे है। अमेरिका जहां पाकिस्तान द्वारा कार्यवाही न किये जाने पर खुद सैन्य कार्यवाही के विकल्प को खुला रखने की बात कह रहा है, वहीं पाकिस्तान ने भी अमेरिका के चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने उसकी जमीन पर हमला किया तो नतीजे गंभीर हो सकते है।

पाक है विश्वासघाती : अमेरिका

अमरीका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में इसका एक सदस्य पाकिस्तान को विश्वासघाती करार देते हुए सदन में एक प्रस्ताव रखा है कि पाकिस्तान को परमाणु हथियारों की सुरक्षा के लिए दी जाने वाली सहायता को छोड़कर शेष सभी सहायता बंद की जाए। अमरीका से बढती खटास को देखते हुए पाकिस्तान अब चीन से अपनी दोस्ती को और मजबूत करने में जुट गए हैं। ऐसे में चीन के उपप्रधानमंत्री का पाक में उपस्थित होना नए राजनैतिक गठजोड कि ओर संकेत दे रहा है। अमरीका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में प्रस्ताव रखते हुए टेडपो ने कहा, पाकिस्तान को मदद देकर हम अपने दुश्मन को मदद कर रहे हैं। उन्हें उस क्षेत्र में अमरीकियों को नुकसान पहुंचाने और अमरीका के कार्यों पर पानी फेरने के लिए मदद कर रहे हैं| उन्होंने कहा, यह तथाकथित सहयोगी अरबों डॉलर लेता है और उन आतंकवादियों को मदद करता है, जो हम पर हमला करते हैं।

अमेरिका का आतंकियों से संपर्क  पाक

पाकिस्तान ने साफ किया- हक्कनी नेटवर्क को सरकार या आईएसआई ने भी मदद नहीं किया है। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा कि हक्कनी नेटवर्क कभी अमेरिका की खुफिया एजेंसी सेन्ट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) का दुलारा था। खार ने अमेरिका के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि-अफगानिस्तान के काबूल में अमेरिका दुतावास और वदाक  प्रांत में अमेरिकी ठिकाने पर इस महीने हुए हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई ) ने हक्कानी नेटवर्क को मदद दी थी। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादियों से संपर्क की बात करें तो अमेरिका की संस्था सीआईए का दुनिया भर के आतंककियों से संपर्क रहे है। रब्बानी ने अलजजीरा टीवी से चर्चा के दौरान यह बात कही।

सीआईए कार्यालय में हमले

अफगानिस्तान में हमले अफगानिस्तान में अमेरिका खुफिया एजेंसी के कार्यालय में कुछ समय से लगातार हमले हो रहे है। सीआईए का कार्यालय होटल एरियाना में है यह होटल अमेरिकी दूतावास और राष्ट्रपति भवन से कुछ दूरी पर है। यह अतिसुरक्षित इलाका माना जाता है।

सबसे खतरनाक आतंकवादी अमेरिका व पाकिस्तान के रिश्तों में हटाश उस समय आई, जब पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी सैनिको ने अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन को घेर कर मारा था। इस कार्यवाही से पूरी दुनिया में अमेरिका ने प्रशंसा प्राप्त की जबकि पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस बात से नाराज चल रहे है। इस घटना के बाद सब ओर से यही सवाल उठने लगे थे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी पाकिस्तान में आराम से रह रहा हो और वहां की सरकार को खबर न हो।

चीन और पाकिस्तान की दोस्ती

अमेरिका की ओर से बढते दबाव के बीच चीन के उपप्रधानमंत्री एवं जनसुरक्षा मंत्री श्री मेग  जियान्झू की पाक यात्रा के दौरान यूसुफ रजा गिलानी उनसे मिले |श्री गिलानी ने देश की अखंडता एवं संप्रभुता के पक्ष में बयान देने के लिए श्री जियान्झू को धन्यवाद भी दिया। उधर बीजिंग से प्राप्त समाचार के अनुसार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने पाकिस्तान की पीठ थपथपाते हुए कहा, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पाकिस्तान ने अहम योगदान दिया है। होंग ने कहा कि चीन इस बात को समझता है कि पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर आतंकवाद के खिलाफ रणनीति बनाता है और चीन उसक समर्थन करता है।

एशिया महाद्वीप में वर्चस्व कि लड़ाई

२००१ से ही एशिया में हुई अमेरिकी सैन्य कार्यवाही में सबसे बड़े सहयोगियों के रुप में पाकिस्तान का ही योगदान रहा। यह लड़ाई अमेरिका द्वारा भले ही आतंकवाद के खिलाफ हो, लेकिन अमेरिका के लिए इसका दूसरा अर्थ एशिया महाद्वीप में वर्चस्व बढ़ाना भी है। नाटो सेना इसमें उसकी मददगार रही है।

अमेरिका की तिलमिलाहट

अमेरिका आतंकवाद को मिटाने के नाम पर पाकिस्तान को अरबों डॉलर देता आ रहा है लेकिन वह खत्म होने की बजाय बढ़ता क्यों जा रहा है और सबसे बड़ा सवाल है कि पाकिस्तान में ही आतंकवाद को क्यों बढ़ावा मिल रहा है। इन सभी घटनाओं के पृष्ठभूमि में जाकर देखें तो अमेरिका पाकिस्तान में ईराक की तरह से भूमिका निभा रहा है। सद्दाम हुसैन को भी हथियारों से सुसज्जित करने वाला अमेरिका ही था, और सैन्य कार्यवाही के नाम पर उसे नष्ट करने वाला भी अमेरिका ही था। अमेरिका अब तक खामोश था लेकिन जैसे ही उसके स्वयं का दूतावास आतंकी निशाने पर आया तब से वह तिलमिला गया है। अमेरिका ने ऐसा ही कदम सोवियत संघ से मोर्चा लेने के लिए तालिबान को खड़ा करने में की। लेकिन उसी तालिबान ने अमेरिका कि नाक में दम कर रखा है।

हक्कानी गुट को अमेरिका ने की थी मदद

अफगानिस्तान के हक्कानी गुट में करीब १५ हजार चरमपंथी लड़ाके है, जो दुर्गम पहाड़ों के बीच छापामार लड़ाई करने में सक्षम है। हक्कानी गुट एक अपराधिक कबिला है जिसमें अपहरण, फिरौती, स्मगलिंग और लेन-देन के जरिए पैसा इकट्ठा किया है और अपने लड़ाकों की फौज तैयार किया है। इस गुट के नेता जलालुद्दीन हक्कानी के सीआईए के बड़े अधिकारियों के साथ-साथ सऊदी खुफिया एजेंसी और अलकायदा से भी नजदीकी रिश्ते थे। पाकिस्तान स्वयं स्वीकार करता है कि वर्ष १९८० में अफगानिस्तान में सोवियत रुस के खिलाफ पाकिस्तान ने भी अमेरिका के कहने पर सीआईए का साथ दिया है।

भारत की बात सच

भारत लंबे अरसे से पाकिस्तान की सेना, खुफिया एजेंसी और खुद सरकार के कुछ लोगों कों आतंकवादियों कों मदद देने का आरोप लगाता रहा है। लेकिन, अब जाकर अमेरिका ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ के निवर्तमान अध्यक्ष एडमिरल माइक मुलेन ने सिनेट के समक्ष इस बात का सत्यापन किया कि अफगानिस्तान में सक्रीय उग्रवादी गुट हक्कानी नेटवर्क आईएसआई कि एक शाखा के रुप में काम करता है। पिछले दिनों अफगानिस्तान के भूतपूर्व राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की एक मानव से बम के हत्या करवाने में इसी गुट का हाथ है।

भारतीय सैनिकों का साहसपूर्ण कदम

पाकिस्तान ने भारत में आतंक फैलाने के इरादे से अब महिलाओं कों भी आतंक का प्रशिक्षण देने हेतु ३ केन्द्र पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मानशेरा, तारबेला और छत्तर में चला रहा है। यह कार्य पाकिस्तान तथा उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई मिल जुलकर कर रही है। जानकारी के  अनुसार पाकीस्तान अधिकृत कश्मीर में अब भी करीब ४० से ४५ आतंकी प्रशिक्षण चल रहे है। इसके अलावा आईएसआई ने वर्तमान तथा पूर्व सैनिकों व सैन्य अधिकारियों कों मिलाकर एक नियंत्रण दल बनाया है, जो आतंकियों कों प्रशिक्षण, नेतृत्व क्षमता, विकास व पाक अधिकृत कश्मीर में गतिविधियों कों निर्धारित करेगा। इसके अलावा यह दल भारत पाक सीमा के निकट स्थित नियंत्रण रेखा से घुसपैठ कि योजना बनाएगा। भारतीय सैनिकों ने अपने साहस पूर्ण कदम से पिछले ७ माह से घुसपैठ की करीब ५० कोंशिशों को नाकाम कर दिया है।          

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें