मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

सामथर्य ही पुण्य, दुर्बलता ही पाप

हदय में हो प्रेम लेकिन  शक्ति भी कर में प्रबल लो।
  यह सफलता मंत्र है करना इसी की साधना है॥

किसी भी स्थिति में दुर्बल को कष्ट भोगना पड़ता है। कितना भी ऊपरी तालेमल अथवा हेरफेर उसे बचा नहीं सकता। दुर्बल रहना संसार का सबसे जघन्य पाप है, क्योंकि इससे स्वयं हमारा विनाश होगा और दूसरों की हिंसा की वृत्ति को प्रोत्साहन मिलेगा। हमारे पूर्वजों ने कहा है कि अपने शरीर की विनाश से रक्षा करना सर्वोच्च धर्म का एक अंग है। शारीरिक संरक्षण के एकमात्र आधार शक्ति है।

विश्वमित्र के विषय में बताया जाता है कि एक बार बड़े अकाल के समय उन्हें कई दिनों तक भोजन नहीं मिला। एक दिन उन्होंने एक चाण्डाल के घर में एक मृत कुत्ते की सड़ती हुई टांग पड़ी हुई देखी। विश्वमित्र ने उसे झपटकर ले लिया और परमात्मा को भोग लगाकर उसे खाने को सिद्ध हुए। चाण्डाल विस्यम से बोला- अरे ऋषि, तुम कुत्तों की टांग कैसे खा रहे हो? विश्वामित्र ने उत्तर दिया-संसार में तपस्या और सतकर्म करने के लिए मुझे पहले जीवित रहना और शक्तिशाली होना आवश्यक है।

परन्तु पिछले कुछ दशकों में हमारे देश में जो विचार रहा है, उसमें शक्ति को पापपूर्ण और गर्हित माना जाता है। अहिंसा के गलत अर्थ लगाने ·के लिए राष्ट्र के मस्तिष्क के विवेचन-शक्ति समाप्त हो गई है। हम लोग शक्ति को हिंसा मानने लगे है तथा अपनी दुर्बलता को गौरवास्पद समझने लगे है।

एकबार एक साधू ने कहा-अहिंसा शब्द ही हिंसा के असलीवाचक भाव में आ लगाकर हिंसा से निकली हुई क नकारात्मक अभिव्यक्ति है। जो हिंसा करने में पर्याप्त समर्थ है, परन्तु जो संयम, विवेक और दया के कारण ऐसा नहीं करता, केवल उसी व्यक्ति के लिए यह कहा जा सकता है कि वह अहिंसा का आचरण करता है। मान लो, कोई तगड़ा व्यक्ति सड़क पर जा रहा है और उससे कोई टकरा जाता है। यदि यह पहलवान व्यक्ति दया करके कहे-ठीक है, तुमने मेरे प्रति जो अनुचित कार्य किया है, उसके लिए मैं तुम्हें क्षमा करता हूँ, तब हम कहते है कि उस बलवान व्यक्ति ने अहिंसा का व्यवहार किया है, क्योंकि यद्यपि वह प्रहार करने में और सिर तोडऩे में समर्थ है, परन्तु उसने स्वयं को नियंत्रित किया।

मान लो, एक पतला-दुबला मच्छर जैसा व्यक्ति जा रहा है, कोई उसके कान खींच लेता है और वह मच्छर सिर से पैर तक कांपता हुआ कहता है, महाशय! मैं आप को क्षमा करता हूँ, तो कौन उसका विश्वास करेगा? कौन कहेगा कि वह अहिंसा का पालन कर रहा है?

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