मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

संपादकीय – क्रिकेट - कीचड़ भरा दलदल


पूर्व क्रिकेटर विनोद काम्बली ने सनसनीखेज बयान देकर भारतीय क्रिकेट के अनेक खिलाडिय़ों को कटघरे में खड़ा कर दिया। १९९६ में खेला गया विश्वकप के सेमीफाइनल मैंच में श्रीलंका के हाथों भारत की हार पर काम्बली को शक है और नि:संदेह यह मैंच पहले से फिक्स था। उस समय टीम के कप्तान मोहम्मद अजरुद्दीन थे। बाद में आईसीसी ने भी सन् २००० में मोहम्मद अजरुद्दीन पर मैंच फिक्सिंग के आरोप पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया था। आज कांग्रेस के सांसद है।
काम्बली का कहना है भारतीय टीम ने पहले तय किया था कि टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करेंगे परन्तु श्रीलंका को बल्लेबाजी का न्यौता देकर कप्तान ने सबको हैरान कर दिया। श्रीलंका ने ८ विकेट खोकर २५१ रन बनाये थे। जिसके जबाव में भारत ने ३४ ओवर में ८ विकेट गंवाकर १२० रन ही बना सकी। प्रथम ९८ रन रन केवल २ विकेट गिरे थे परन्तु ऐसा क्या हुआ कि अगले २२ रनों में एक के बाद एक ६ विकेट गिर गये। भारत की इस तरह शर्मनाक हार को दर्शक भी पचा नहीं पाये थे तथा दर्शकों ने मैदान पर बोतले फेंकने लगे जिससे मैंच स्थगित हो गया। जनता को लगा कि मैंच फिक्स था। अजरुद्दीन ने काम्बली के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि उनका बयान है कि उनके बातों में कोई दम नहीं है यदि मैंच फिक्सिंग था तो वह इतने वर्षों तक खामोश क्यों बैठा था? तत्कालीन मैंनेजर अजीत वाडेकर ने भी विनोद काम्बली के इतने दिनों तक चुप्पी पर प्रश्न खड़ा किया।
आज क्रिकेट मैंच दगाबाजी के दलदल में फंसा हुआ दिख रहा है। आरोप-प्रत्यारोप दोनों तरफ से लग रहे है। खिलाड़ी और राजनेता इसमें शामिल हो गये है। अजहर कांग्रेस के सांसद हैं। अब क्रिकेट में राजनीतिक लड़ाई शुरु हो गई है। केन्द्रीय खेलमंत्री अजय माकन चाहते है क्रिकेट भी सूचना के अधिकार के तहत आये, लेकिन उन्हीं के पार्टी ऐसा होने से रोक रहे है। क्रिकेट राजनैतिक, सट्टाबाजी व्यवसायिक खेल होकर रह गया है। इस फिक्सिंग से भी देश के दामन पर दाग लगा है इसलिए सच बातें सामने लाने के लिए इसके उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।

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