रविवार, 4 दिसंबर 2011

किसान का करिश्मा, कबाड़ से बना डाली अनोखी मशीन



आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। इन पंक्तियों को टीकमगढ़ जिले के मांडूमर गांव के किसान गोविंद दास ने साबित कर दिखाया है। बिजली की समस्या से परेशान गांव के लोगों का अनाज पीसने के लिए उसने साइकिल की तर्ज पर पैडल से चलने वाली आटा चक्की बना डाली है। बगैर बिजली के चलने वाली यह चक्की इलेक्ट्रिक चक्की से कमतर नहीं हैं। अब पूरे गांव का गेहूं देसी चक्की से ही पिस रहा है। महज कक्षा ९ वीं तक शिक्षित मांडूमर गांव के ४८ वर्षीय किसान गोविंद दास खंगार ने घर में पड़े कबाड़ के सामान से पाइपसाइकिल की सीटपैडलकुछ नट बोल्ट और जुगाड़ से पैडल आटा चक्की बनाना शुरू किया था। चक्की के पाट खरीदने की बारी आई तो आर्थिक तंगी के कारण काम रुक गया। छोटे बेटे हेमचंद ने स्कूल से मिली छात्रवृति के १७०० रुपए पिता को दे दिए। इससे उसने चक्की के २ पाट खरीदे और पैडल के सहारे चलने वाली बिजली रहित आटा चक्की बनकर तैयार हो गई।
 गोविंद दास ने बताया कि चक्की बनाते समय गांव वालों ने कई बार मजाक उड़ाया लेकिन जब वह तैयार हुई तो मोहल्ले के कई लोग गेहूं पिसाने उनके घर आने लगे। अब गांव में बिजली हो या न हो गांव के लोग अपना गेहूं पिसाने यहां आते हैं। इसके पहले भी वह आधा दर्जन से ज्यादा देसी अविष्कार कर चुका हैं। इनमें खेत जोतने के लिए लोहे का हलखेत में जानवरों को भगाने सर्च लाइट की तरह घूमने वाला बल्ब शामिल है। - साभारदै.भा.






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