सामूहिकता की सराहनीय पहल
पिछले दिनों धर्म नगरी हरिद्वार में दो घटनायें घटित हुई लेकिन हर बार की तरह खबरियां चैनल व अखबारों ने समाचार को सनसनीखेज बनाने के चक्कर में सिर्फ दुखद घटना का बार-बार चित्रण अपने चैनल व अखबारों में किया। आखिर लोकतंत्र का यह चौथा स्तम्भ अपनी जिम्मेदारी के प्रति इतना लापरवाह कैसे होता जा रहा है। आज जब देश में कार्यपालिका, व्यवस्थापिका पर बार-बार प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है तब लोकतंत्र के शेष दो स्तम्भ न्यायपालिका और खबरपालिका से लोगों को बहुत सी उम्मीदें है। ऐसे में हरिद्वार में दो घटनायें घटित हुई जिसमें पहला सामुहिकता की सराहनीय पहल की थी जिसमें स्वयंसेवकों ने सिर्फ १३ दिन में ८१५ फुट लंबा पुल गंगा के दो तटों को जोडऩे के लिये तैयार कर दिया। वहीं दूसरी घटना में भगदड़ के कारण कुछ श्रद्धालुओं को अपने प्राण गंवाने पड़े। ऐसे में पहली घटना तो अखबार की सुर्खियां नहीं बटोर पाई लेकिन दूसरी घटना को खबरपालिका ने चटखारे देकर लोगों को बताया। ऐसे में समाज का मानस धर्म के प्रति किस प्रकार का बनेगा यह तो खबरपालिका को सोचना चाहिए। मीडिया को समाज का सही विचार भी प्रसारित करना चाहिए...
गायत्री परिवार के स्वयंसेवकों ने बिना किसी सरकारी सहायता के १३ दिन में बना दिया गंगा नदी पर ८१५ फुट लंबा पुल। यह पुल गायत्री महाकुंभ के लिये गंगा के दोनों तटों पर बने सोलह नगरो को जोडने के लिये बनाया गया है। पुल के निर्माण कार्य में देश विदेश के करीब आठ सौ श्रद्धालुओं ने श्रमदान किया। यह पुल श्रीराम सेतु नाम से जाना जायेगा। अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डा. प्रणव पंड्या तथा अधिष्ठात्री शैल दीदी ने इस पुल का लोकार्पण के अवसर पर कहा कि यह पुल स्वयंसेवकों की श्रद्धा तथा भावनाओं के विलक्षण समन्वय का अनूठा उदाहरण है। इस अनूठी उपलब्धि से उत्साहित पुल का निर्माण कार्य देख रहे इंजीनियर महाकालेश्वर तथा हरिमोहन गुप्ता ने बताया कि एक महीने पहले जब वह इस जगह पर आये थे तो उनको पुल निर्माण करना बेहद कठिन कार्य लग रहा था। इस जगह न केवल गंगा नदी का प्रवाह बहुत तेज था बल्कि यहां गहरायी भी काफी थी। तैराकों की मदद से भी ये काम संभव नहीं था। श्री गुप्ता का कहना था कि पानी की गहराई के बारे में नवम्बर के बाद ही पता चल पायेगा। तब बारिश भी हो रही थी। हमने सेतु निगम के इंजीनियरों की मदद भी लेनी चाही लेकिन पानी का तेज बहाव देखकर उन्होंने भी अपने हाथ खडे कर दिये। हमने भी हार नहीं मानी और गुरजी का नाम लेकर इस पुल को हरहालत में गायत्री महाकुंभ से पहले पूरा करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, हमने लोहे के जाल के बक्से बनाये। उनमें गंगा नदी के पत्थर भरे। फिर इन बक्सों की मदद से १२ से १५ फुट लम्बे गार्डर रखे। उन पर लकडी के पांच इंच मोटे स्लीपर कसे और ८१५ फुट लम्बा पुल तैयार कर दिया। इस पूरे अभियान में १३ दिन लग। किसी दिन पुल निर्माण में आठ सौ लोगों ने श्रमदान किया। किसी दिन कुछ कम तो किसी दिन इससे ज्यादा हो गये। स्वयं सेवकों में महिलाएं, पुरुष, बुजुर्गों तथा बच्चों के अलावा विदेशों से आये लोग भी शामिल थे। इस पुल के निर्माण में लकडी से लेकर लोहे तक जितनी सामग्री लगी, वह उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम ने मुफ्त मुहैया करायी है। लोकार्पण कार्यक्रम में मौजूद उत्तर प्रदेश सेतु निगम के इंजीनियर राजेश चौधरी ने बताया कि कुंभ मेले के समय इस स्थान पर जो पुल निर्मित किया गया था उसमें पूरे ढायी महीने लगे थे और नदी का प्रवाह भी आधा था लेकिन १३ दिन के अंदर विपरीत हालात में इस पुल का निर्माण वाकई किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं है।
उन्होंने बताया कि यह पुल लालजीवाला नगर से गौरी शंकर क्षेत्र के चैतन्य महाप्रभु नगर, संत कबीरदास नगर, संत ग्यानेश्वर नगर, संत तुलसीदास नगर, संत रैदास नगर, संत सूरदास नगर, रामकृष्ण परमहंस नगर आदि को आपस में जोडेगा जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को यज्ञशाला, प्रवचन शाला तथा अन्य स्थानों पर जाने में कम दूरी तय करनी पडेगी।
श्री चौधरी ने बताया कि हरिद्वार में ६ से १० नवम्बर के दौरान होने वाले गायत्री महाकुंभ के लिये जो २४ नगर बसाये जा रहे हैं, उनको आपस में जोडने के लिये कुल पांच पुल बनाये जाने थे जिनमें से श्रीराम सेतु सहित चार पुल लगभग तैयार हो चुके हैं। बाकी एक पुल का निर्माण इसी सप्ताह पूरा हो जायेगा। लोकार्पण समारोह में शांतिकुंज के व्यवस्थापक गौरी शंकर शर्मा तथा केसरी कपिल सहित तमाम लोग मौजूद थे।
मैं हूँ AMANDA KARIPETRA संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, मैं दाद से पीड़ित हो की है,
जवाब देंहटाएंकई वर्षों से, 7year की अवधि, इलाज के बिना। एक वफादार दिन मैंने देखा एक
इंटरनेट पर लेख एक महिला चिकित्सक ise और यह कैसे के बारे में बात कर रहे थे
चिकित्सक ने उसे एचआईवी के स्थायी रूप से ठीक हो।
मैं उसे अपने ईमेल के माध्यम से संपर्क: ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM और उसे मेरी बीमारी के बारे में बताया। इस भट्ठी आदमी मेरे दाद संक्रमण रोग ठीक हो। उन्होंने कहा कि मुझे हर्बल दवा है कि मुझे पूरी तरह से चंगा भेजा है। आज मैं `रहने वाले
खुशी और दाद से मुक्त। मैं अपने दिमाग पर निष्कर्ष निकालना था कि वहां कोई है
इलाज, वह मालिक है और आईएसई हर्ब अनुसंधान केन्द्र के संस्थापक है [IHRC]
डॉ .ISE एचआईवी, Zika, एचपीवी, अस्थमा, मधुमेह, उपदंश, कम शुक्राणु के लिए इलाज
गिनती, कैंसर, पागलपन, हेपेटाइटिस, बैक्टीरिया और परजीवी के संक्रमण और
अन्य संबंधित वायरल संक्रमण। उन्होंने अभ्यास में 15 साल के खर्च के लिए किया था
अध्यात्मवाद, सलाहकार, जड़ी बूटियों और आध्यात्मिक साधन का उपयोग कर इलाज करने के लिए
पूरी दुनिया में बीमारी। मुख्य कारण है कि मैं इस गवाही लिख रहा हूँ
अपने महान कामों के बारे में पूरी दुनिया को सूचित करने के लिए, और वह एक हर्बल डॉक्टर है
जो घातक बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। उन्होंने यह भी एक महान जादू कॉस्टर मैं नहीं था
किसी भी डॉक्टर इस भट्ठी आदमी की तरह इतना शक्तिशाली देखते हैं, वह कई जीवन को बचाने के लिए किया था।
तुम उसे के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं; ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM ...
मैं हूँ AMANDA KARIPETRA संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, मैं दाद से पीड़ित हो की है,
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मैं उसे अपने ईमेल के माध्यम से संपर्क: ISESPIRITUALSPELLTEMPLE@GMAIL.COM और उसे मेरी बीमारी के बारे में बताया। इस भट्ठी आदमी मेरे दाद संक्रमण रोग ठीक हो। उन्होंने कहा कि मुझे हर्बल दवा है कि मुझे पूरी तरह से चंगा भेजा है। आज मैं `रहने वाले
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