भारत में अब जनमानस सभी हदें पार कर चुकी भ्रष्टाचार के खिलाफ पूर्ण रूप से खड़ा दिखाई देने लगा है। इसकी रफ्तार सूचना के अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद से बढ़ती जा रही है। लेकिन यूपीए - २ के घोटालों ने तो आम जनता को पूरी तरह से आक्रोशित कर दिया है। बाबा रामदेव, अण्णा हजारे और श्री श्री रविशंकर ने इस आक्रोश को एक मंच देने का कार्य किया है। यह सजगता सामाजिक और राजनैतिक संगठनों में भी अब दिखाई देने लगी है इसका सबूत है संघ द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना है। लेकिन इसके बावजूद राजनेताओं ने जिस तरह अपने आचरण से, अपने सभी विरोधियों को चुनाव लडऩे की खुली चुनौती दी है। उसके जवाब के रुप में भ्रष्टाचार के खिलाफ जन लोकपाल बिल के समर्थन में हुए सर्वे ने सबकी आंखें खोल दी है।
इस सर्वे में १६ लोकसभा क्षेत्र का जनमत संग्रह किया गया जिसमें ९५ फीसदी लोग जनलोकपाल के समर्थन में है, जहां अमेठी में ९८.३ फीसदी लोग, मैनपुरी में ९१.८ फीसदी लोग, छपरा में ९४.३ लोग और रायबरेली में ९९.९ फीसदी लोग जनलोकपाल के समर्थन में हैं।
इस प्रकार इस सर्वे ने जनमन के विचार को पूरे देश के सामने लाकर नेताओं को अपनी निंद्रा तोडऩे की राह दिखाई है। इसके बावजूद यदि राजनेता धृतराष्ट्र की तरह आंख में पट्टी बांधे रहेंगे तो निश्चित ही परिवर्तन होकर रहेगा। कुछ राजनेताओं द्वारा जिस प्रकार से बेसिर पैर की बयानबाजी से समाजसेवी संगठन संघ को बदनाम किया जा रहा है, यह केवल भ्रष्टाचार, महंगाई और आतंकवाद जैसे देश की गंभीर समस्याओं से आम जनता का ध्यान हटाने और वोट बैंक की राजनीति की साजिश के तहत किया जा रहा है।
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