सोमवार, 5 दिसंबर 2011

जैविक खेती के उपयोग से बेहतर पैदावार



रायपुर। छत्तीसगढ़ में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों को लगभग आधी कीमत पर जैविक कल्चर मुहैया कराया जा रहा है। जैविक कल्चर के उपयोग से होने वाले लाभ को देखते हुए राज्य सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को दलहनी, तिलहनी और अनाज फसलों की बेहतर पैदावार के लिये जैविक कल्चर के उपयोग की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि जैविक कल्चर के उपयोग से फसलोत्पादन में बढ़ोत्तरी होने के साथ ही प्रति हेक्टेयर २५ किलोग्राम नत्रजन उर्वरक की बचत होती है। जैविक खेती के लाभ को देखते हुए किसानों को इसके लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के किसानों को जैविक कल्चर लगभग ५० प्रतिशत छूट पर उपलब्ध कराये जा रहे है। उन्होंने बताया कि दलहनी फसलों में रोईजोबियम कल्चर तथा अनाज और तिलहनी फसलों में एजेक्टोबेक्टर कल्चर की ५ ग्राम मात्रा प्रतिकिलों बीज की दर से बुआई के समय उपयोग किया जाना की सर्वोत्तम है। इसके उपयोग से फसलों में नत्रजन की आपूति4 अच्चे से होती है। उत्पादन बढ़ता है तथा खेत की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है।

उन्होंने बताया कि भूमि में पर्याप्त मात्रा में प्राकृतिक रुप से फास्फोरस उपलब्ध होता है, परन्तु यह फसलों को सहजता से मिल नहीं पाता है। फसलों को पर्याप्त मात्रा में फास्फोरस मिले इसके लिए जरूरी है कि बीज बोने से पहले १० ग्राम पीएसबी कल्चर प्रतिकिलो बीज की दर से बोनी के समय उपयोग में लाना चाहिए। इससे मिट्टी में उपलब्ध फास्फोरस को यह कल्चर घुलनशील स्थिति में ला देता है और इसका फायदा फसलों को मिलने लगता है। इससे पौधों में वृद्धि एवं फसलोत्पादन बढ़ता है। बुआई के समय कल्चर से बीज को उपचारित करने के लिए एक लीटर पानी में ५० ग्राम गुड़ को घोलकर इस घोल में कल्चर पाऊडर की निर्धारित मात्रा मिलाकर बीज के साथ अच्छी तरह मिलाया जाता है। इसके बाद उसकी बुआई की जाती है।

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