सोमवार, 5 दिसंबर 2011

पाकिस्तान में हिन्दुओं की हत्या से आक्रोश



पाकिस्तान के सिंध प्रांत में तीन हिंदुओं की हत्या पर पाक मानवाधिकार आयोग ने नाराजगी जताई है। आयोग का कहना था, इन हत्याओं से ऐसा लगता है कि अपराधी समझ बैठे हैं, गैर मुसलिमों की हत्या कर वे बच जाएंगे। पाक के सिंध प्रांत में  तीन डॉक्टर भाइयों की हत्या से अल्पसंख्यक हिंदुओं में चिंता है और वे हत्यारों को सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार शिकारपुर जिले में हिंदुओं और मुसलिम संप्रदाय के कुछ लोगों के बीच हुए विवाद के बाद अज्ञात हमलावरों ने तीन भाइयों को गोलियों से भून डाला था। आयोग अध्यक्ष जोहरा यूसुफ का कहना था कि पाक मानवाधिकार आयोग इन हत्याओं से स्तब्ध है और हिंदू समुदाय में आक्रोश की भावना को समझता है। पुलिस ऐसा होने से रोकने या हत्यारों को गिरफ्तार करने में नाकाम रही जबकि उन्हें हिंसा फैलने की आशंका के बारे में सूचित कर दिया गया था।
सुरक्षा बल नहीं करते मदद
बयान में कहा गया कि तीन हफ्ते पहले स्थानीय मुसलिम कबीले के साथ विवाद हो जाने पर शिकारपुर में हिंदू समुदाय के लोगों को भयंकर परिणाम भुगत लेने की धमकी दी गई थी। इसके बाद हिंदुओं ने पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की थी। आयोग ने कहा कि यह चिंताजनक है कि स्थानीय पुलिस स्टेशन से कुछ ही मीटर की दूरी पर तीन भाइयों की हत्या कर दी गई। इसके अलावा हिंदुओं ने शिकायत की है कि मुसीबत के समय मदद मांगने पर सुरक्षा बल के जवान पीडि़तों के बजाए अपराधियों की मदद करते हैं।
गिलानी से न्याय दिलाने की मांग
मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में आस्था आधारित हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है। आयोग ने अधिकारियों से यह महसूस करने को कहा है कि वे कहां पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के मूल अधिकारों बल्कि उनके जीवन की रक्षा कर पाने में भी विफल रहे है। आयोग ने पाक पीएम यूसुफ रजा गिलानी के हत्याओं की निंदा करने का स्वागत किया है लेकिन पीडि़तों को न्याय दिलाने की मांग की है।
विश्व हिंदू परिषद की जम्मू प्रदेश इकाई ने पाकिस्तान में चार हिंदू डॉक्टरों की हत्या के मामले में यूपीए के स्टेंड पर नाराजगी जाहिर की है। विहिप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रमाकांत दुबे ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और विदेश मंत्री एमएम कृष्णा की भूमिका पर भी सवाल उठाए। उन्होंने तुरंत इस मामले में यूपीए सरकार से दखल देने की मांग की है। ताकि पाकिस्तान में हिंदुओं के सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. रमाकांत दुबे के मुताबिक 1947 में देश के विभाजन के समय भारत में मुसलमानों की संख्या पौने चार करोड़ थी, जो अब बढक़र 16 करोड़ से भी अधिक हो गई है। वहीं, पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या नब्बे लाख थी, जो अब घटकर सिर्फ दस लाख रह गई है। जम्मू कश्मीर में मुसलिम समाज की जनसंख्या में अप्रत्याशित इजाफा हुआ है। इससे स्पष्ट होता है कि मानवाधिकारों का हनन पाकिस्तान में हुआ है। जबकि, जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान मानवाधिकार हनन के आरोप लगातार लगाता रहा है। डॉ. रमाकांत दुबे ने विदेश मंत्री एसएम कृष्णा द्वारा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी को करांची में हिंदुओं की हत्याओं के बावजूद शांती पुरुष करार दिए जाने की भी कड़े शब्दों में आलोचना की है।
विपिह की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष डॉ. रमाकांत दुबे ने पाकिस्तान में हिंदुओं की हत्या के मामले में अमेरिका द्वारा इख्तियार किए गए कड़े रुख का स्वागत किया। अमेरिका न े इस संबंध में तुरंत पाकिस्तान से कार्रवाई कर हत्यारों को बेनकाब उनको सजा देने की मांग की है। डॉ. दुबे ने कहा कि इस संबंध में भारतीय सरकार द्वारा चुप्पी साधना बर्दाश्त से परे है। केंद्र सरकार को आगाह किया कि चेत जाए।

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