गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

साइकिल नहीं शिक्षक चाहिए


दंतेवाड़ा। नारी पढ़ेगी, विकास गढ़ेगी-नारी शिक्षा को प्रोत्साहित करने सरकारी विज्ञापनों के अलावा कई आयोजनों में यह स्लोगन पढऩे और सुनने को जरूर मिलता है। प्रदेश सरकार ने भी इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरस्वती साइकिल जैसी योजना भी चला रखी है, परन्तु दक्षिण बस्तर में जहां विषम हालात के बावजूद बालिका शिक्षा को लेकर आदिवासी समाज में एक सकारात्मक सोच जागृत हुई है और इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। शिक्षण संस्थाओं में लडक़ों के समतुल्य लड़कियां भी शिक्षाग्रहण करने पीछे नहीं हैं, परन्तु अध्यापन की समस्या से पढ़ाई में आ रही बाधा एक गंभीर समस्या है।
ब्लाक मुख्यालय कुआकोण्डा स्थित शासकीय कन्या उमावि में साइकिल वितरण कार्यक्रम में पहुंचे क्षेत्रीय विधायक भीमा मंडावी को अध्यापन की समस्या से अवगत कराते छात्राओं ने कहा कि उन्हें साइकिल नहीं वरन शिक्षक चाहिए। 
कक्षा ११ वीं की सरिता, प्रीति, कक्षा १२ वीं की नेहा विज्ञान संकाय की तीनों छात्राओं का कहना था कि परीक्षा सिर पर है और गणित, जीवविज्ञान, भौतिकी, रसायन जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक नहीं है। ऐन वक्त जब उन्हें इम्तहान की तैयारी करनी है तो दो शिक्षकों ने रिजाईन दे दिया है। जिससे कोर्स पूरा करने में भी वे पिछड़ गए हैं। वहीं परीक्षा की घड़ी भी नजदीक है, ऐसे में उनकी पढ़ाई भगवान भरोसे हैं। इस पर विधायक भीमा मंडावी छात्राओं को आश्वस्त किया कि शीघ्र ही शिक्षकों की व्यवस्था हो जाएगी। इधर नई दुनिया से चर्चा में विधायक का कहना है कि बच्चों की मांग जायजा है और यह उनका अधिकार भी है। इम्तहान की घड़ी में शिक्षकों का तबादला बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। वे इस विषय में जिलाधीश से चर्चा जरूर करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें