विश्व के परिदृश्य में अनेक परिवर्तन देखने को आये। कहीं लोग अपने शासकों के प्रति विद्रोह पर उतर आये
तो कहीं सेना तख्ता पलट की तैयारी में लगे रहे। ऐसे ही हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान
और बंगलादेश भी रहे। पाकिस्तान में तो जैसे-तैसे बात बन गयी, परन्तु
बंगलादेश पूर्ण योजनाबद्ध तरीके से सेना के मध्यवर्गीय कुछ पूर्व कुछ वर्तमान अधिकारी
वर्तमान सरकार के तख्ता पलट की तैयारी कर चुके थे। परन्तु ऐन समय पर भारत के
गुप्तचरों ने सही सूचना सरकार को दी और सरकार
ने यह सूचना बंगलादेश के को भेजी। सूचना
पर तुरंत कार्यवाही हुई और जो लोग तख्ता पलट की तैयारी में लगे हुए थे उन्हें धर
दबोचा गया। इसे क्या कहेंगे ? भारत का अपने पड़ोसियों के प्रति अच्छे पड़ोसी होने का धर्म।
परन्तु इसे क्या बंगलादेश के शासक समझ पायेंगे ? माना कि अभी शेख हसीना सरकार के रहते
बंगलादेश में भारत विरोधी आतंकवादियों को अपनी गतिविधि चलाने में दिक्कतें हो रही
है, परन्तु बंगलादेश के आजादी से लेकर अब तक २ करोड़
से भी ज्यादा अवैध घुसपैठी जो भारत में घुस चुके है उन्हें क्या वापस बंगलादेश सरकार
लेगी ? यदि यह कदम प्रधानमंत्री शेख हसीना उठा लेती है तो नि:संदेह भारत का ऋण
वैसे ही चुक जायेगा। परन्तु शेख हसीना ऐसा नहीं करेगी, है तो
बंगलादेशी और कहीं न कहीं उनकी भावनाएं यहां रह रहे अवैध बंगलादेशियों से जुड़ी
हुई है । पर हसीना सरकार को इस बात पर गौर अवश्य करना चाहिए कि यदि भारत सहयोग
नहीं करता तो क्या १९७५ में बंगलादेश का निर्माण हो पाता ? और यदि आज
भारत सहयोग नहीं करता तो क्या शेख हसीना की सरकार बच पाती ? नहीं।
भारत सच में अपने पड़ोसियों का हित चाहती है । परन्तु बदले में उसे क्या मिलता है ?
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