मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

पूर्वी भारत ने उठाया दूसरी हरित क्रांति का बीड़ा



दिल्ली। देश में दूसरी हरित क्रांति का बीड़ा पूर्वी भारत ने उठा लिया है और बिहार व झारखंड में गेहूं तथा धान के जबर्दस्त उत्पादन के साथ वर्ष २०१२ में २५ करोड़ टन से अधिक खाद्यान्नों के उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया है। वहीं दलहन व तिलहन फसलों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलायी जा रही सैकड़ों करोड़ रूपए की योजना पर पानी फिर गया है और चालू वर्ष में दालों व तिलहनी फसलों की पैदावार घटेगी।
कपास और गन्ना कफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्की फसलों की बंपर पैदावार का अनुमान व्यक्त किया गया है। सवा अरब से अधिक की आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए दूसरी हरित क्रांति की जिम्मेदारी पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के ऊपर डाली गयी है। देश में वर्ष २०१२ में होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन २५ करोड़ ४२ लाख टन में से अकेले पूर्वी क्षेत्र में ही सवा करोड़ टन से अधिक उत्पादन का अनुमान लगाया गया है।
कृषि सचिव पी.के. बसु ने चालू वर्ष का दूसरे अग्रिम फसल उत्पादन का अनुमान जारी करते हुए कहा कि इस वर्ष गेहूं उत्पादन ८ करोड़ ८३ लाख टन और चावल का १० करोड़ २७ लाख टन से अधिक उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले वर्ष चावल ९ करोड़ ५९ लाख और गेहूं ८ करोड़ ६८ लाख टन था।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें