सोमवार, 16 अप्रैल 2012

मानवता के लिये


मानवता के लिए उषा की
किरण जगाने वाले हम
शोषित, पीडि़त, दलित जनों
का भाग्य बनाने वाले हम
हम अपने श्रम सीकर से ऊसर
में स्वर्ण उगा देंगे
ककड़ पत्थर समतल कर
कांटों में फूल खिला देंगे
सतत् परिश्रम से अपने हैं वैभव
लाने वाले हम
शोषित, पीडि़त, दलित जनों का
भाग्य बनाने वाले हम
अन्य किसी के मुंह की रोटी
हरना अपना काम नहीं
पर अपने अधिकार गंवा कर,
कर सकते आराम नहीं
अपने हित औरों के हित का
मेल मिलाने वाले हम
शोषित, पीडित, दलित जनों का
भाग्य बनाने वाले हम
रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा आवश्यकता जीवन की
व्यक्ति और परिवार सुखी हो
तभी मुक्ति होती सच्ची
हँसते - हँसते राष्ट्र कार्य में
शक्ति लगाने वाले हम
शोषित, पीडि़त, दलित जनों का
भाग्य बनाने वाले हम
भारत माता का सुख गौरव प्राणों
से भी प्यारा है
युग - युग से मानव हित करना
शाश्वत धर्म हमारा है
जीवन शक्ति उसी माता को भेंट
चढाने वाले हम
शोषित, पीडि़त, दलित जनों का
भाग्य बनाने वाले हम

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