बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

प्राचीन परंपरा का जीवंत दर्शन कर्मा उत्सव



यह पर्व मानव को अपनी परंपरा और आदर्शों से जोडक़र रखते है। जशपुरांचल में कर्मा उत्सव से यह बात सच साबित होती है। विश्व कल्याण की भावना से यहां के ग्रामीण पूरी श्रद्धाभाव से अपने आराध्य की उपासना करते है और उल्लास व उमंग की छटा बिखेरते हुए नृत्व वाद्य यंत्रों  के सहारे ईश्वर से एकाकार होने का प्रयत्न करते है...
जशपुरनगर। इन दिनों जिले भर में दशई कर्मा की धूम देखने को मिल रही है। जिला मुख्यालय में बांकी टोली अखरा स्थल पर कई गांवों से विभिन्न टोलियों में जनजाति महिला, पुरूष करमा डाल के साथ झूमते गाते पहुंंचे। यहां भव्य कर्मा उत्सव का आयोजन किया गया।
विश्व कल्याण की कामना लिए कुंवारी कन्याओं के इस अनूठे अनुष्ठान में पूर्व अजाक मंत्री के साथ सीआरपीएफ के कमांडेंट दलजीत सिंह भी पहुंचे। जगह-जगह पर आयोजित करमा उत्सव से ग्रामीण काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। जिले भर में कर्मा उत्सव का यह पारंपरिक नजारा दीपावली तक देखने को मिलेगा। अपनी प्राचीन परंपराओं को जीवंत रखने में जहां समाज के बड़े बुजूर्ग अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। वहीं कुंवारी कन्याएं भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं। कर्मा उत्सव जनजाति समाज की पूर्वजों से चली आ रही परंपरा है, जिसमें कुंवारी कन्याएं २४ घंटे का निर्जला व्रत रखकर विश्व कल्याण और स्वस्थ्य समाज की कामना करती हैं। इस दिन कुंवारी कन्याओं को समाज के लोग मां पार्वती की संज्ञा देते हुए उनके अनुष्ठान में हर संभव मदद करते हैं। पिछले दिनों जनजाति समाज के इस अनूठे पंरपरा को जीवंत नगर के प्रमुख सडक़ों पर देखा गया, जब पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ लोक गीत गाते हुए ग्रामीण करमा डाली लेकर इस अनुष्ठान को पूरा करने निकले। बांकी टोली में ग्रामीणों की शोभा यात्रा निकली। जहां पूरी रात लोक कला की कई छटाएं बिखरती रही। जिले के विभिन्न गांवो से ग्रामीण सामुहिक कर्मा उत्सव मनाने के लिए यहां के मधुवन टोली में एकत्रित हुए। यहां विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद कुंवारी कन्याओं ने कर्मा डाली को अपने कांधे में लेकर शोभा यात्रा निकाली। नगर के मुख्य मार्गों से झूमते गाते शोभा यात्रा अखरा स्थल पहुंची जहां करमा राजा को डाली के रूप में स्थापित किया गया। यहां सरहुल ध्वज के पास करमा डाली की स्थापना बैगाओं द्वारा की गई। पूजा अर्चना के बाद कर्मा कथा बैगाओं द्वारा सुनाया गया।
कन्याओं के साथ सभी ग्रामीणों ने विश्व कल्याण के लिए महादेव, पार्वती से प्रार्थना की। पूजा के बाद पूरी रात जनजाति समाज पारंपरिक गीतों और वाद्य यंत्रों के माध्यम से अपने आराध्य देव महादेव पार्वती को मनाते रहे और विश्व कल्याण तथा स्वस्थ्य समाज की कामना करते रहे। सुबह पारन करते हुए कर्मा डाली का नदी में कन्याओं ने विसर्जन किया। इसके बाद कन्याओं ने व्रत तोड़ा। इस उत्सव में सरीक होकर सीआरपीएफ के जवान भी अभिभूत हुए। नगरीय समुदाय की काफी भागीदारी इस उत्सव में देखने को मिली। पूर्व अजाक मंत्री ने बताया कि दशहरा के बाद दशई कर्मा मनाया जाता है।
अपनी सुविधाओं के अनुशार अलग-अलग गांवों में जनजाति समाज के लोग कर्मा उत्सव का आयोजन करते हैं, जो दीपावली तक चलता है। इस अवसर पर कमांडेंट दलजीत सिंह, सुदीप मुखर्जी, कल्याण आश्रम के डॉ मृगेंद्र सिंह, रामप्रकाश पांडे, सत्य प्रकाश तिवारी, उरांव समाज के अध्यक्ष राम दयाल मांझी, बैगा राधेश्वर प्रधान, बलराम सहित बड़ी संख्या में जिले के विभिन्न गांवों से आए ग्रामीण महिला, पुरूष और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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