बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

धर्म परिवर्तन का विरोध करने पर हत्या करने वाले को सजा...



संस्कृति के रक्षक को मिला न्याय

यह घटना हिन्दू संस्कृति के रक्षक रकबन केरकेट्टा की दु:ख भरी अंत की है जिसमें न्यायालय ने दोषियों को सजा सुनाई है। लेकिन इसके बावजूद कानून की कुछ कमजोर कडिय़ों का सहारा लेकर इस क्षेत्र में दहशत का वातावरण निर्मित करने वाले लोग आज भी खुले आम घूम रहे है। छत्तीसगढ़ एक वनवासी बाहुल्य क्षेत्र है, आजादी से लेकर आज तक शासन और समाज ने इनके विकास में अपना महत्वपूर्ण  योगदान दिया है इसके बावजूद अब भी सुदूर वनवासी क्षेत्र में एकात्मता के भाव का जागरण छूट सा गया है। इसी कमी का लाभ उठाकर इन क्षेत्रों में धर्मान्तरण का हिंसक व घिनौना खेल यदाकदा उदाहरण के रुप में हमारे सामने प्रमाणित है। ऐसी ही घटना के साक्षी रकबन केरकेट्टा, (बेलगहना) निवासी थे जिन्होंने कई वर्षों तक चर्च व पादरियों से अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए संघर्ष किया। जनवरी २०१० में तो धर्मान्तरण के लिए लाये गये कपड़े, खाद्यान्न व अन्य  सामग्री से भरी ट्रक को भी इन्होंने पकड़वाया था।  ऐसी ही कई छूटपूट संघर्ष के कारण ही दो बार हिन्दू संस्कृति के विरोधी बिलासपुर में मानसिक प्रताडऩा के लिए लेकर आये। इन सबकों देखकर रकबन केरकेट्टा ने बेलगहना थाने में इनके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करायी।  लेकिन २०१० में चर्च ने षडय़ंत्र करके उनके ही रिश्तेदार बलदेव उरांव के द्वारा हत्या रकबन केरकेट्टा  हत्या करा दी गई और आज भी उनके परिवार को समय-समय पर धमकी दी जा रही है। यह घटना चर्च के घिनौने षड्यंत्र का पर्दाफाश करती है। लेकिन न्यायालय के द्वारा इन आरोपियों को सजा मिलने से ऐसी घटनाओं में रोक लगने की उम्मीद है...
बिलासपुर। धर्म परिवर्तन के विरोध में हत्या करने के प्रकरण पर फैसला देते हुए पंचम अपर सत्र न्यायाधीश ने तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
धर्मपरिवर्तन कराये जाने को लेकर ग्राम बेलगहना निवासी रकबन केरकेट्टा का गांव के ही सलीम कुजूर पिता जगर साय (२०वर्ष) संतोष सिंह खलखों पिता प्रेम सिंह (२७ वर्ष) व बंगलाभाठा निवासी बलदेव उरांव पिता चाकोराम (४८वर्ष) के साथ धर्मान्तरण को लेकर विवाद चल रहा था, रंजिश की वजह से १४ जून २०१० की दोपहर सलीम संतोष व बलदेव ने रकबम को उसके घर से अपने साथ ले गये एवं लाठी डंडे से मारपीट कर उसकी हत्या कर दी और शव को जंगल में फेंक दिया, अगले दिन सुबह पुलिस ने शव जंगल से बरामद कर मामला पंजीबद्ध किया। उक्त प्रकरण पर पंचम अपर सत्र न्यायाधीश हेमंत सराफ ने फैसला देते हुए तीनों आरोपियों के खिलाफ धारा १४७ के तहत एक-एक वर्ष का कारावास व १०० रु. का अर्थदंड ३२०/१४९ के तहत ३-३ साल की कैद १०० रु. का अर्थदंड धारा १२० बी के तहत आजीवन कारावास व १०० रु. का अर्थदंड देने का फैसला सुनाया है।

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