सामाजिक चेतना का विकास करना इस प्रकल्प का उद्देश्य.....
भारत वर्ष में आदिकाल से ही मानव हृदय की संवेदना ने सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना है। इस विचार ने ही महान व्यक्ति और संंस्था को जन्म दिया है। ऐसे ही संवेदना की राह पर चलने वाले कर्मयोगी का नाम पूज्य सदाशिव गोविन्दराव कात्रे है। जिन्होंने स्वयं कुष्ठ रोगियों की पीड़ा को हृदय से अनुभव किया और उनकी सेवा में अपना जीवन अर्पित कर दिया। सेवा के इस अनथ· योद्धा को समाज ने गांधी जयंती के दिन कुष्ठ निवारक संघ चांपा के स्वर्ण जयंती समारोह में याद किया। कात्रेजी की कर्म भूमि कुष्ठ आश्रम, कात्रेनगर, सोंढ़ी, चांपा छत्तीसगढ़ के सेवाभावी विचारकों के लिए प्रेरणा का केन्द्र रहेगा...
समाज की अंदर की संवेदना को जगाने का सराहनीय कार्य इस आश्रम के द्वारा किया जा रहा है, समाज में व्याप्त दु:ख को दूर करना ही समाज का ही काम है हम सब को वेदना की तो अनुभूति होती है पर बहुत कम लोग ही हैं, जिन्हें संवेदना की अनुभूमि होती है स्व. कात्रे जी ने इसी संवेदना की अनुभूति को समाज जीवन से जोडऩे का महत्वपूर्ण कार्य किया यह बाते माननीय श्री सुरेश सोनी, सहसर कार्यवाह जी ने भारतीय कुष्ठ निवारक संघ चांपा के स्वर्ण जयंती समारोह में २ अक्टूबर गांधी जयंती, पर व्यक्त किया।
श्री सुरेश सोनी जी ने कहा - वेदना का अनुभव तो सभी को होता है चोट लगने पर दु:ख होता है वेदना है यह सभी प्राणियों जीवों मेंह कोता है यहां तक की मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, में सभी को। परन्तु दूसरे के तकलीफ को देखकर हमारे अंदर जो भाव जागृत होता है वह संवेदना है, संवेदना का भाव की जागृति होते ही, दूसरे के दु:ख दर्द को देखकर आंसू का टपकना ही सेवा का भाव का प्रारंभ होना है। संवेदना के भाव में से पुण्य कार्य प्रारंभ हुआ, सामाजिक चेतना का विकास करना इस प्रकल्प का उद्देश्य है पुण्य कार्य को आज ५० वर्ष हो गये। आज के कार्यक्रम को देखकर लगता है कि समय बदलता है, पहले कुष्ठ रोगियों के प्रति घृणा का भाव इतना अधिक था कि आश्रम के पास बस खड़ी करने की बात दूर बस की गति को ही बढ़ा देते थे। संवेदनायें बढ़ी लोग समझने लगें। इसलिये यहां आज विशाल संख्या में एकत्रित हुये है। कुष्ठ रोगियों से घृणा के कारण उनके बच्चों को भी कष्ट सहना पढ़ता था आज जो युवा पादरी है वो कुष्ठ रोगियों के बच्चे हैं आज ११४ (९९८) धर्म प्रचारक इसाईयों में से ९८ लोग कुष्ठ रोगियों के बच्चे थे।
केवल कुष्ठ रोग के कारण धर्म संस्कृति की धारा से जो करता है उसे रोकना हम सब का कर्तव्य है अपने ही बंधुओं की ऐसी उपेक्षा को यह ठीक नहीं। टूटी-फुटी मूर्तियों को संग्रहालय में तब जीवित जागती खण्डित मूर्तियों के संबंध में सोचने की आवश्यकता है। बीज से जिस प्रकार वृक्ष खड़ा होता है उसी प्रकार धीरे-धीरे खड़ा हुआ है यह प्रकल्प। एक प्रयत्न चले सहयोग प्राप्त हो समाज से मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा त्याग, तपस्या, सेवा व लगन को जो स्वरुप इस आश्रम में दिख रहा है वह कार्य के लिए जीवन अर्पित करने वाले स्व. कात्रे जी जैसे विरले लोगें की देन है जिन्हें इतिहास सदा याद करता रहेगा। मुख्यमंत्री ने कुष्ठ रोगियों व उनके बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा व स्वावलंबन पर सतत् कार्य करने वाली कुष्ठ निवारक संघ संस्थान की गतिविधियों की सराहना किया। समाज से तिरस्कृत कुष्ठ रोगियों की सेवा कर उन्हें रोग मुक्त कर समाज में समर सत्ता के साथ जोडऩे का कार्य आश्रम द्वारा किया जा रहा है। माननीय सुरेश जी एवं मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी द्वारा स्व. कात्रे जी की समाधि पर पुष्पांजली के पश्चात् आश्रम में स्थापित श्री गणेश जी की पंच धातु से निर्मित विशाल मूर्ति पर मंदिर में पूजा अर्चना के बाद कुष्ठ रोगियों महिला एवं पुरुष से भेंट के पश्चात् मंच पर महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, स्व. कात्रे जी की प्रतिक्षा पर पुष्पार्चना के बाद सरस्वती शिशु मंदिर के संख्या बहिनों द्वारा वैष्णों जबा तो तेने किहिये जो पीड़ परायी जानों रे भक्तिमय गीत से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ।
मंच पर माननीय सुरेश सोनी सहसरकार्यवाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, श्री दामोद गणेश बापट संरक्षक कुष्ठ निवारक संघ, श्री नारायण चंदेल, श्री गोपाल व्यास सासंद राज्यसभा एवं अध्यक्ष स्वर्ण जयंती समारोह, श्री प्रदीप स्वर्णकार अध्यक्ष भारती कुष्ठ निवारक संघ सोंठी चांपा, संस्था का प्रतिवेदना श्री सुधीर देव सचिव एवं संचालन किया। इस अवसर पर आश्रम को प्रत्यक्ष कार्य प्रारंभ करने में निरन्तर सहयोग प्रदानक करने वाले श्री बलिहार सिंह जी, श्री देवी प्रसाद देवांगन, श्री शांताराम जी, श्री शोभाराम केशरवानी, श्री ओमप्रकाश जी के पिता द्वारा संस्था को प्रारंभ करने के लिए १९६२ में आधा एकड़ भूमिदान किया गया था। श्री प्रताप राव कृदत्त (स्व. पंढरीराव कृदत्त जी सुपुत्र) (सचिव विकास कृषि छ.ग. शासन) श्री जयन्त कोठे एवं श्रीमती कोठे, डॉ. ध्रुव चक्रवर्ती, (पश्चिम बंगाल दुर्गापुर के निवासी होम्यो से कुष्ठ रोग पर रिसर्च कर रहे हैं विगत ५ वर्षों से आश्रम में) पूरे वर्ष भर चलने वाले स्वर्ण जयंती समारोह के शुभारंभ गांधी जयंती के अवसर पर प्रारंभ कर अनके आयाम वर्ष भर चलेंगे, ९ अक्टूबर को आश्रम में मातृ सम्मेलन रखा गया जिसका उद्देश्य समाज एवं परिवार में नारी की भूमिका पर सबका ध्यान आकर्षित करना है।
इसमें तीन मुख्य विषय रखा गया है। १.परिवार का आधार मातृशक्ति। २. परिवार में नारी की भूमिका। ३. आज के परिवेश में मातृशक्ति। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती अनुराधा भाटिया, आगरा एवं अध्यक्षता श्रीमती इंदु शर्मा कोरबा, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय सेविका समिति से सुश्री सुलभा देशपांडे रही।
- डॉ. प्रफुल्ल कुमार शर्मा, बिलासपुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें