भारत की जीत पर सड़को में झंडा लहराना स्वाभाविक देशप्रेम है.इससे खेल भावना की संस्कृति को बल मिला है.जिससे सामुहिक रूप से कार्य को पूर्ण करने का भाव समाज में निर्मित होता है .भारत-पाक के बीच का यह मैच पूरे देश के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था और भारत के जीत ने पूरे राष्ट्र को आल्हदीत कर दीया .यह खेल भावना केवल खेल तक सीमित न रहकर राष्ट्र के हर समस्या के प्रति भी ऐसा ही सामूहिक दृष्टीकोण होना चाहिए .
देश आज भ्रष्टाचार ,आतंकवाद ,कुपोषण .चीनी षड़यंत्र,बंग्लादेशी घुसपैठ व कश्मीर की समस्या से जूझ रहा है.दुर्भाग्य की बात यह है की पिछले एक साल में उजागर हुए घोटालों के सन्दर्भ में देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा का पुरा सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया .परन्तु करोड़ो रूपये की इस बर्बादी पर जनता के बीच से कोई तीखी प्रतिक्रिया देखने को नही मिली .जबकि अमेरिका के अप्रवासी भारतीयों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ दांडी मार्च निकालकर भारत के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह किया है .भारत में जो दीवानगी क्रिकेट के जीत के साथ आयी है वह भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सड़क पर दिखे .हमें अब भी ऐसा लगता है की उत्सवों एवं खेलों से उपजी सामुदायिक भावना राष्ट्र के समस्याओं से संघर्ष के समय भी परिलक्षित होगी.भारत के विश्वकप जीतने से आम जनजीवन में कोई फर्क नही आयेगा .इसके लिए तो हमें फिर से एक दांडी मार्च का इंतजार करते रहना होगा ..
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