मंगलवार, 20 सितंबर 2011

एकता कम विरोध ज्यादा

राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम बिल का भारी विरोध 
राष्ट्रीय एकता परिषद कि बैठक में अरुण जेटली ,प्रणव मुखर्जी,
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ,चिंदम्बरम,विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज .
               केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में एका की जगह अलग-अलग स्वर गूंजे. सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम  विधेयक जैसा काला कानून इसका कारण था. इस विरोध में कांग्रेस की सहयोगी  दलों के साथ-साथ राजग  दलों ने भी विरोध किया जिसमें प्रमुख गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री जैसे नीतीश कुमार ,नरेन्द्र मोदी ,प्रकाश सिंह बादल,जयललिता और मायावती ने  शामिल थे .हालंकि किसी कारणवश ये बैठक में शामिल नही हो आ पाये.  सप्रंग के प्रमुख घटक दल तृणमूल की ममता बनर्जी ने बैठक में न होते हुए भी विरोध किया तृणमूल के नेता दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक के मौजूदा स्वरूप का विरोध करती है .
               इन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक के मौजूदा प्रारूप का विरोध करते हुए इसे संघीय ढांचे के लिए खतरनाक बताया है.ममता ने भी विपक्ष के सुर में सुर मिलाकर सप्रंग की एकता पर उँगली उठाने का मौका विरोधियों को दे दिया है . इस विधेयक का मसौदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय सलाहकार परिषद ने तैयार किया है .भाजपा ने भी इस विधेयक को खतरनाक बताते हुए आपत्ति जता दी है .,लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इस विधेयक का विरोध किया है.इसके साथ भाजपा व राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों जैसे मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ ,कर्नाटक,उत्तराखंड,पंजाब, बिहार थे इसी तरह गैर राजग दलों वाले राज्य में उड़ीसा ,तमिलनाडू ने भी विधेयक के मौजूदा स्वरूप के खिलाफ आवाज उठाई है.इस प्रकार हम देखता है की विधेयक का वर्तमान स्वरूप देश को तोडने वाला साबित होगा .                        

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